ईरान-इजरायल संघर्ष: वैश्विक प्रभाव और भारत की स्थिति
संघर्ष का नया मोर्चा
Bharat Ek Soch : शुक्रवार की सुबह, इजरायल ने ईरान में 200 से अधिक फाइटर जेट्स के साथ एक बड़ा हमला किया। इस हमले में 100 ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें चार परमाणु और दो सैन्य ठिकाने शामिल थे। इस हमले में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के प्रमुख कमांडर हुसैन सलामी और प्रमुख न्यूक्लियर वैज्ञानिक मोहम्मद मेहदी तेहरांची की मौत हो गई। इसके जवाब में, ईरान ने इजरायल पर 150 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागी। तेल अवीव और यरुशलम में हवाई हमलों के सायरन सुनाई दिए, जिससे लोग बंकरों की ओर भागने लगे। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, और ईरान जानता है कि इजरायल केवल एक मोहरा है, असली खेल अमेरिका में हो रहा है।
मध्य पूर्व की ज्वलंत स्थिति
मध्य पूर्व में तनाव की स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट था कि इजरायल और ईरान के बीच टकराव कभी भी गंभीर रूप ले सकता है। हालांकि, इजरायल के 200 फाइटर जेट्स द्वारा ईरान में सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला करना एक अप्रत्याशित घटना थी। यह हमला ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडरों और वैज्ञानिकों की हत्या के साथ हुआ, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
इजरायल का अस्तित्व और ईरान का परमाणु कार्यक्रम
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट किया है कि ईरान की परमाणु क्षमता को समाप्त करने के लिए ऑपरेशन राइजिंग लायन शुरू किया गया है। उनका कहना है कि यह ऑपरेशन इजरायल के अस्तित्व की रक्षा के लिए आवश्यक है। हालांकि, ईरान और इजरायल के बीच की भौगोलिक दूरी को देखते हुए, यह समझना जरूरी है कि दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ किस प्रकार की रणनीति अपना रहे हैं।
अमेरिका की भूमिका
ईरान और इजरायल के बीच तनाव में अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण है। अमेरिका, जो दोनों देशों से हजारों किलोमीटर दूर है, ने ईरान को नियंत्रित करने के लिए कई प्रयास किए हैं। ईरान का परमाणु कार्यक्रम अमेरिका के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यदि ईरान सफल होता है, तो यह खाड़ी देशों और इजरायल के लिए खतरा बन सकता है।
भारत की स्थिति
भारत के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उसके इजरायल और ईरान दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं। भारत को यह तय करना होगा कि वह किस पक्ष का समर्थन करेगा। इसके अलावा, ईरान-इजरायल संघर्ष का असर भारत की अर्थव्यवस्था और नागरिकों पर भी पड़ेगा, खासकर जब से कई भारतीय खाड़ी देशों में काम कर रहे हैं।
पाकिस्तान की रणनीति
पाकिस्तान की स्थिति भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहा है। यह देखना होगा कि पाकिस्तान ईरान के साथ खड़ा होता है या अमेरिका के साथ।
तुर्की का संभावित समर्थन
ईरान को कुछ मुस्लिम देशों का समर्थन मिल सकता है, जिसमें तुर्की प्रमुख हो सकता है। हालांकि, अधिकांश अरब देश सीधे युद्ध में शामिल होने से बचेंगे।
आर्थिक प्रभाव
ईरान-इजरायल संघर्ष का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ेगा। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और एयरस्पेस बंद होने से यात्रा में कठिनाई हो सकती है।