ईरान-इज़राइल संघर्ष: क्या बढ़ रहा है परमाणु युद्ध का खतरा?
मध्य पूर्व में युद्ध का नया दौर
मध्य पूर्व एक बार फिर से युद्ध की आग में झुलस रहा है। ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे खूनी संघर्ष ने वैश्विक समुदाय को हिला कर रख दिया है। पिछले 65 घंटों से जारी इज़राइली बमबारी ने ईरान को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने स्पष्ट किया है कि यह सैन्य कार्रवाई तब तक जारी रहेगी जब तक ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता।
ईरान में बढ़ते हताहत
ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार, 14 जून को जानकारी दी कि इज़राइली हमलों में अब तक 224 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। मंत्रालय के प्रवक्ता हुसैन केरमानपोर के अनुसार, पिछले तीन दिनों में लगभग 1,277 लोग घायल हुए हैं। उन्होंने बताया कि मारे गए लोगों में 90% आम नागरिक थे, जो इज़राइली मिसाइलों का शिकार बने।
रिवोल्यूशनरी गार्ड को हुआ बड़ा नुकसान
ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड ने पुष्टि की है कि इस हमले में उनके खुफिया प्रमुख मोहम्मद काजमी, दो अन्य जनरल और कई प्रमुख सैन्य अधिकारी मारे गए हैं। इसके अलावा, कुछ ईरानी परमाणु वैज्ञानिक भी इस हमले में जान गंवा चुके हैं, जो कि एक बड़ा रणनीतिक नुकसान है।
इज़राइल की स्थिति और हताहत
इज़राइल ने बताया कि 12 जून से अब तक हुए ईरानी हमलों में उनके 14 नागरिकों की मौत हुई है और 390 से अधिक लोग घायल हुए हैं। नेतन्याहू सरकार ने यह भी कहा है कि वे ईरान की हर गतिविधि का जवाब देने के लिए तैयार हैं।
ईरान की चेतावनी
ईरानी सैन्य अधिकारी कर्नल रेजा सय्याद ने कहा है कि इज़राइल की जवाबी कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि "इज़राइली नियंत्रित क्षेत्र अब सुरक्षित नहीं रहेंगे, शेल्टर भी आपकी रक्षा नहीं कर पाएंगे।"
नेतन्याहू का स्पष्ट संदेश
इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "ईरान पर हमारी सैन्य कार्रवाई जारी रहेगी। उनके परमाणु ठिकाने न केवल इज़राइल के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा हैं।" उन्होंने कहा कि इज़राइल का लक्ष्य ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम और उसके मिसाइल हमलों के नेटवर्क को समाप्त करना है।
परमाणु युद्ध का खतरा
ईरान और इज़राइल के बीच यह टकराव न केवल अरब क्षेत्र, बल्कि पूरी दुनिया को तनाव में डाल रहा है। परमाणु हमले की आशंका ने कूटनीतिक हलकों में चिंता बढ़ा दी है। यदि स्थिति इसी तरह बनी रही, तो अगला चरण एक पूर्ण युद्ध हो सकता है, जिसका प्रभाव सीमाओं से परे जाएगा।