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ईरान-इज़राइल संघर्ष: भारत और रूस की प्रतिक्रियाएं वैश्विक कूटनीति में महत्वपूर्ण

मिडिल ईस्ट में ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे संघर्ष ने वैश्विक कूटनीति को प्रभावित किया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इज़राइल के पीएम से बातचीत की, जिसमें उन्होंने क्षेत्र में शांति की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं, रूस ने इज़राइल और अमेरिका पर कड़ा हमला किया। जानें इस संकट के पीछे की कूटनीतिक चालें और भारत-रूस की प्रतिक्रियाएं।
 

मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव

मिडिल ईस्ट में ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे गंभीर संघर्ष ने वैश्विक कूटनीति को एक नई दिशा दी है। इस दौरान, मिसाइलों और ड्रोन के हमले क्षेत्र की वास्तविकता को बदल रहे हैं। भारत और रूस की प्रतिक्रियाएं इस संकट में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, और ये प्रतिक्रियाएं अमेरिका की मध्य-पूर्व नीति पर भी असर डालती दिख रही हैं।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बातचीत की, जो इस विवाद पर भारत की पहली उच्च-स्तरीय प्रतिक्रिया थी। मोदी ने कहा कि उन्होंने नेतन्याहू को वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी और क्षेत्र में शांति और स्थिरता की आवश्यकता पर जोर दिया।


हालांकि मोदी के बयान में कोई निंदा नहीं थी, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि वह युद्ध के बजाय संवाद को प्राथमिकता देता है। यह नीति भारत की यूक्रेन युद्ध और गाजा संकट के दौरान अपनाई गई रणनीति का विस्तार है, जिसमें संतुलन बनाए रखते हुए सिद्धांतों की बात की गई।


इसके विपरीत, रूस ने इज़राइल और अमेरिका पर सीधा हमला किया। क्रेमलिन ने इस हमले को 'बिना उकसावे की सैन्य आक्रामकता' करार दिया और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया।