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ईरान और इजराइल के बीच युद्ध विराम: परमाणु हथियारों की चिंता

ईरान और इजराइल के बीच 12 दिन के युद्ध के बाद युद्ध विराम की घोषणा की गई है। अमेरिका ने ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले किए, जिससे तनाव बढ़ गया है। ईरान का 400 किलो यूरेनियम गायब है, जो दोनों देशों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। जानें इस स्थिति का क्या प्रभाव पड़ सकता है और आगे क्या होने की संभावना है।
 

ईरान और इजराइल के बीच युद्ध विराम

ईरान का परमाणु संयंत्र: इजराइल और ईरान के बीच युद्ध की शुरुआत के 12 दिन बाद, दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमले रोकने का निर्णय लिया है। 24 जून 2025 को युद्ध विराम पर सहमति बनी है। इससे पहले, अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों, नातांज, फोर्डो और इस्फहान पर हमले किए थे।


इजराइल को चिंता थी कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। 13 जून को ईरान पर पहले हमले के बाद, इजराइल ने आरोप लगाया कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ा रहा है, और हमले का उद्देश्य उसे रोकना था। अमेरिका भी इस मामले में इजराइल के साथ था, लेकिन ईरान ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने बेंजामिन नेतन्याहू और डोनाल्ड ट्रंप की चिंताओं को बढ़ा दिया है। ईरान का 400 किलो यूरेनियम गायब है, जिस पर दोनों देशों का मानना है।


ईरान का 400 किलो यूरेनियम

एबीसी न्यूज के अनुसार, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि ईरान के पास 400 किलो यूरेनियम था, लेकिन उसका पता नहीं चल रहा है। उन्होंने बताया कि इस यूरेनियम से 10 परमाणु हथियार बनाए जा सकते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने इजरायली अधिकारियों के हवाले से कहा है कि ईरान ने हमलों से पहले यूरेनियम को किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित कर दिया था।


ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिका के हमले से पहले और बाद की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की गई हैं। हमले से पहले फोर्डो परमाणु संयंत्र के बाहर 16 ट्रक देखे गए थे, लेकिन हमले के बाद की तस्वीरों में ये ट्रक गायब हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, फोर्डो परमाणु स्थल पहाड़ों के अंदर 300 फीट गहराई में स्थित है। अमेरिकी हमलों ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान के परमाणु ठिकानों को काफी नुकसान पहुंचाया।


अमेरिका के हमले का प्रभाव

फोर्डो परमाणु स्थल को हमलों के लिए सुरक्षित माना जाता था। लेकिन जब अमेरिकी बी-2 स्पिरिट बमवर्षकों ने ईरान के परमाणु स्थलों पर बंकर बस्टर गिराए, तो ये धराशायी हो गए। हालांकि, इसके बाद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।


अमेरिका और इजराइल के लिए यह सवाल बना हुआ है कि ये ट्रक कहां गए। दोनों देशों को विश्वास है कि ईरान ने हमले से पहले इस्फ़हान में एक भूमिगत सुविधा में यूरेनियम को स्थानांतरित कर दिया था।