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ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका और इजरायल के बीच मतभेद: क्या है असली स्थिति?

संयुक्त राज्य अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने ईरान के परमाणु हथियार बनाने में तीन साल का समय होने का आकलन किया है, जो इजरायल के दावों से भिन्न है। इजरायल ने हाल ही में 'राइजिंग लायन' नामक सैन्य अभियान चलाया, जिसमें ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले किए गए। इस बीच, डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ कूटनीतिक बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया है। जानिए इस जटिल स्थिति के बारे में और क्या कह रहे हैं दोनों देशों के नेता।
 

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का आकलन

संयुक्त राज्य अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने में कम से कम तीन साल का समय लगेगा। यह निष्कर्ष इजरायल के दावों से भिन्न है, जिसमें कहा गया था कि ईरान केवल कुछ महीनों की दूरी पर है। इजरायल का तर्क था कि परमाणु हथियार बनने से पहले हमला करना आवश्यक है, ताकि इस खतरे को टाला जा सके। यह आकलन अमेरिका और इजरायल के बीच खुफिया दृष्टिकोण में स्पष्ट अंतर को दर्शाता है।


इजरायल का 'राइजिंग लायन' अभियान

इजरायल ने हाल ही में 'राइजिंग लायन' नामक एक सैन्य अभियान चलाया, जिसमें उसने ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले किए। हालांकि, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, ये हमले ईरान के परमाणु कार्यक्रम में केवल कुछ महीनों की देरी पैदा कर सकते हैं। अमेरिका ने इस अभियान में सीधे तौर पर भाग नहीं लिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार स्पष्ट किया है कि वे ईरान के परमाणु हथियारों के खिलाफ हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका इजरायल के हमलों में शामिल नहीं होगा और ईरान के साथ बातचीत की उम्मीद रखते हैं।


इजरायल के हमलों का प्रभाव

ईरान और इजरायल के बीच तनाव अब पांचवें दिन में प्रवेश कर चुका है। इजरायल के हवाई हमलों में लगभग 225 ईरानी नागरिक मारे गए हैं, जिनमें कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक शामिल हैं। उपग्रह चित्रों ने नातान्ज़ परमाणु संयंत्र को भारी नुकसान पहुंचाने की पुष्टि की है। इस्फ़हान के परमाणु अनुसंधान केंद्र को भी क्षति पहुंची है, जबकि फोर्डो का गढ़ सुरक्षित रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि फोर्डो को नुकसान पहुंचाने के लिए इजरायल को अमेरिकी हथियारों और हवाई समर्थन की आवश्यकता होगी।


ट्रंप का कूटनीतिक दृष्टिकोण

डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कूटनीतिक बातचीत की आवश्यकता को दोहराया है। उन्होंने कहा है कि तेहरान को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए और बातचीत की मेज पर आना चाहिए ताकि संकट को टाला जा सके। ट्रंप की यह रणनीति सैन्य कार्रवाई के बजाय कूटनीतिक समाधान खोजने की कोशिश मानी जा रही है।


राष्ट्रीय खुफिया निदेशक का बयान

मार्च में, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गब्बार्ड ने सीनेट की खुफिया समिति को बताया कि खुफिया समुदाय का मानना है कि ईरान इस समय परमाणु हथियार बनाने की दिशा में सक्रिय नहीं है। उन्होंने कहा कि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामनेई ने 2003 में परमाणु हथियार कार्यक्रम को निलंबित किया था और वह इसे फिर से सक्रिय नहीं कर रहे हैं।


इजरायली प्रधानमंत्री का बयान

हालांकि, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस अमेरिकी आकलन को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने फॉक्स न्यूज को बताया कि उनके पास ऐसी खुफिया जानकारी है जो यह दर्शाती है कि ईरान यूरेनियम को हथियार बनाने की गुप्त योजना पर तेजी से काम कर रहा है। नेतन्याहू ने इसे 'स्पष्ट खतरा' बताया और कहा कि वे इस खतरे को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।