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ईरान के साथ युद्ध: चुनौतियाँ और रणनीतिक स्थिति

ईरान के साथ युद्ध की जटिलताओं को समझना आवश्यक है, क्योंकि यह केवल सैन्य शक्ति का मामला नहीं है। ईरान की भौगोलिक स्थिति और उसके प्रॉक्सी समूहों के माध्यम से लड़ाई करने की रणनीति इसे एक मजबूत प्रतिकूल बनाती है। इसके अलावा, ईरान की समुद्री स्थिति, विशेषकर होर्मुज जलसंधि, वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है। जानें कि ईरान से युद्ध करना क्यों चुनौतीपूर्ण है और इसके पीछे के कारण क्या हैं।
 

ईरान से युद्ध की जटिलताएँ

Israel Iran War: मध्य पूर्व में स्थित ईरान के खिलाफ युद्ध करना सरल प्रतीत हो सकता है, लेकिन उस पर विजय प्राप्त करना एक कठिन कार्य है। इसके पीछे कई कारण हैं। ईरान की भौगोलिक स्थिति और सैन्य शक्ति इसे एक मजबूत प्रतिकूल बनाती है। सैन्य दृष्टिकोण से, ईरान सीधे युद्ध में शामिल नहीं होता; बल्कि, वह इराक, सीरिया, लेबनान और यमन में अपने प्रॉक्सी समूहों के माध्यम से लड़ाई करता है। भौगोलिक दृष्टि से, ईरान का आकार ब्रिटेन से लगभग सात गुना बड़ा है। इसके पश्चिमी क्षेत्र में जैग्रोस पर्वत श्रृंखला है, जो देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दक्षिण में, नुकीले पहाड़ों की स्थिति है, जो लैंडिंग को चुनौतीपूर्ण बनाती है। इसके मध्य में दो कठिन रेगिस्तान फैले हुए हैं, जिन्हें पार करना भी मुश्किल है। ये रेगिस्तान दाश्त-ए-कवीर और दाश्त-ए-लूत के नाम से जाने जाते हैं, जो इतनी गर्मी के लिए प्रसिद्ध हैं कि यहां टिक पाना भी कठिन है। इन्हें नो गो जोन भी कहा जाता है।


ईरान की समुद्री स्थिति

ईरान की समुद्री स्थिति?


ईरान की समुद्री स्थिति रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। होर्मुज जलसंधि, जो विश्व के तेल और गैस के परिवहन के लिए एक प्रमुख मार्ग है, यदि ईरान इस पर प्रतिबंध लगाता है, तो एक नया संकट उत्पन्न हो सकता है। ईरान विश्व का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार और प्राकृतिक गैस का दूसरा सबसे बड़ा भंडार है।