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ईरान के सैन्य प्रमुख मोहम्मद बाघेरी की इजरायली हमले में मौत: क्या है इसके पीछे की कहानी?

ईरान के सशस्त्र बलों के प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी की इजरायल द्वारा किए गए हमले में मौत की पुष्टि हुई है। यह घटना मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव को और बढ़ा सकती है। जानें बाघेरी का सैन्य करियर, उनके योगदान और इस हमले के पीछे की रणनीति के बारे में। क्या यह क्षेत्र में बड़े संघर्ष का संकेत है? पूरी जानकारी के लिए पढ़ें।
 

ईरान पर इजरायल का हमला

ईरान पर इजरायली हमले की पुष्टि: इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ने यह जानकारी दी है कि उसके सशस्त्र बलों के प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी इजरायल द्वारा तेहरान पर किए गए प्रीएंप्टिव हमले में मारे गए हैं। ईरान के सरकारी प्रसारक प्रेस टीवी ने इस घटना की पुष्टि की है, जिससे मध्य-पूर्व में पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति और बढ़ गई है।


एक इजरायली सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को ईरान पर किए गए हमले में मोहम्मद बाघेरी की मौत संभवतः हुई है। यह हमला उस समय हुआ जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्षेत्र में संभावित बड़े संघर्ष की चेतावनी दी थी।


न्यूक्लियर कार्यक्रम पर हमला

ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाया गया


प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल का यह अभियान ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम पर सीधा हमला करने के लिए चलाया गया था। इजरायली वायुसेना ने नतांज स्थित परमाणु सुविधा और कई प्रमुख वैज्ञानिकों को निशाना बनाया।


इस हमले में न केवल सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, बल्कि तेहरान के रिहायशी इलाकों पर भी बमबारी की गई। ईरानी मीडिया के अनुसार, कई नागरिकों की मौत हुई है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इसके साथ ही ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख होसेन सलामी के मारे जाने की भी खबर है।


मोहम्मद बाघेरी का परिचय

मोहम्मद बाघेरी कौन थे?


मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी ईरान के प्रमुख सैन्य अधिकारी थे। उनका जन्म तेहरान में हुआ था और असली नाम मोहम्मद-हुसैन अफशोर्दी था। उनकी जन्मतिथि को लेकर विभिन्न स्रोतों में भिन्नता है - कुछ रिपोर्ट्स में 1960 और कुछ में 1958 बताया गया है।


बाघेरी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) से जुड़े हुए थे और 2016 से ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ के पद पर कार्यरत थे, जो देश की सर्वोच्च सैन्य पद मानी जाती है।


युद्ध विशेषज्ञ और खुफिया रणनीतिकार

युद्ध और खुफिया रणनीति में विशेषज्ञता


मोहम्मद बाघेरी ने 1980 में IRGC में शामिल होकर ईरान-इराक युद्ध में सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने इंजीनियरिंग में डिग्री और फिर तरबियत-ए-मोदारस यूनिवर्सिटी से राजनीतिक भूगोल में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की।


28 जून 2016 को उन्हें डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ से प्रमोट कर जनरल स्टाफ का चेयरमैन बनाया गया, उन्होंने हसन फिरोज़ाबादी का स्थान लिया, जो 27 वर्षों से उस पद पर थे।


अमेरिका की नजर में बाघेरी

अमेरिका के लिए खतरा


बाघेरी और अन्य कमांडर्स जैसे मोहम्मद अली जाफरी, अली फदवी और गोलाम अली राशिद को अमेरिकी थिंक टैंक AEI (American Enterprise Institute) ने IRGC कमांड नेटवर्क का हिस्सा बताया है। यह समूह ईरान की सैन्य योजनाओं, खुफिया अभियानों, गुप्त और अनियमित युद्ध संचालन तथा आंतरिक सुरक्षा को नियंत्रित करता है।


बाघेरी की गतिविधियां 1979 की इस्लामिक क्रांति से जुड़ी रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वे उन छात्रों में शामिल थे जिन्होंने अमेरिकी दूतावास पर हमला किया था। उनका दावा है कि वे युद्ध की सभी बड़ी सैन्य कार्यवाहियों का हिस्सा रहे, सिवाय कुछेक के।


उनके बड़े भाई हसन बाघेरी (असली नाम गोलाम-हुसैन अफशोर्दी), ईरान-इराक युद्ध के दौरान एक प्रमुख IRGC कमांडर थे, जो उसी युद्ध में मारे गए थे।


AEI की रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहम्मद बाघेरी ने युद्ध की उच्च स्तरीय रणनीतिक बैठकों में भाग लिया, जहां उनकी मुलाकात ईरानी सैन्य नेतृत्व के उभरते चेहरों से हुई थी, जिनमें कासिम सुलेमानी भी शामिल थे। सुलेमानी को 3 जनवरी 2020 को अमेरिकी ड्रोन स्ट्राइक में मार दिया गया था।