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ईरान के होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने की योजना: भारत की तेल आपूर्ति पर प्रभाव

ईरान ने अमेरिकी हमले के बाद होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की योजना बनाई है, जो वैश्विक तेल आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण मार्ग है। भारत, जो अपनी अधिकांश तेल आवश्यकताओं का आयात करता है, इस स्थिति पर नजर रख रहा है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत की तेल विपणन कंपनियों के पास पर्याप्त भंडार है। यदि जलडमरूमध्य बंद होता है, तो इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया।
 

ईरान की योजना और वैश्विक तेल आपूर्ति

Strait of Hormuz: ईरान ने तीन परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले के बाद होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की योजना बनाई है। यह जलडमरूमध्य एक महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग है, जिसके माध्यम से वैश्विक तेल और गैस की आपूर्ति का लगभग 20% होता है। भारत, जो कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, अपनी 90% तेल आवश्यकताओं को आयात से पूरा करता है। रोजाना 55 लाख बैरल तेल की खपत में से 15-20 लाख बैरल इसी जलडमरूमध्य से आता है। ऐसे में, यदि यह जलडमरूमध्य बंद होता है, तो भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, भारत तेल के रुझानों पर ध्यान दे रहा है।


पेट्रोलियम मंत्री का बयान

क्या कहा पेट्रोलियम मंत्री ने

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हम पिछले दो हफ्तों से मध्य पूर्व में हो रहे भू-राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, हमने अपनी आपूर्ति में विविधता लाई है और अब हमारी अधिकांश आपूर्ति होर्मुज जलडमरूमध्य से नहीं आती।"

उन्होंने आगे कहा कि भारत की तेल विपणन कंपनियों के पास कई हफ्तों का भंडार है, जिसमें कुछ कंपनियों के पास 25 दिनों तक का स्टॉक है। भारत प्रतिदिन 40 लाख बैरल तेल अन्य मार्गों से आयात करता है, जिसमें ब्राजील, रूस, अमेरिका और पश्चिम अफ्रीका शामिल हैं।
सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि होर्मुज जलडमरूमध्य का बंद होना "एक हफ्ते से अधिक" चलता है, तो इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा और भारत भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रहेगा।


कच्चे तेल की कीमतों पर संभावित प्रभाव

सूत्रों के अनुसार, यदि कच्चे तेल की कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जाती है, तो सरकार ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की समीक्षा कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ईरान और अमेरिका के बीच तनाव कम होता है, तो तेल की कीमतें फिर से गिर सकती हैं।