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ईरान द्वारा होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने की स्थिति में भारत की ऊर्जा सुरक्षा

ईरान-इजरायल युद्ध के चलते होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने की स्थिति में भारत की ऊर्जा आपूर्ति पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि भारत ने तेल आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाई है, जिससे संकट का प्रभाव कम होगा। जानें इस संकट के बीच भारत की तैयारी और आयात में वृद्धि के बारे में।
 

ईरान-इजरायल संघर्ष में बढ़ती चिंताएँ

नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध के 11वें दिन स्थिति और भी गंभीर हो गई है। अमेरिका ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर हवाई हमले किए हैं, जिसके बाद ईरानी संसद ने महत्वपूर्ण होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की अनुमति दे दी है। यह जलमार्ग विश्व के लगभग 26% कच्चे तेल का परिवहन करता है। इसके बंद होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिससे महंगाई में भी उछाल आ सकता है।


भारत की ऊर्जा आपूर्ति पर प्रभाव

हालांकि, भारत सरकार ने इस संकट के प्रभाव को नियंत्रित करने का आश्वासन दिया है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने रविवार को कहा कि भारत की ऊर्जा आपूर्ति पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में तेल आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाई है, और अब हमारी अधिकांश आपूर्ति होर्मुज जलडमरूमध्य से नहीं आती।


प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में रणनीति


पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने तेल आपूर्ति को स्थिर और विविध बनाया है। हमारी तेल कंपनियों के पास कई सप्ताह की आपूर्ति है और विभिन्न रूट्स से आयात जारी है।"


उन्होंने यह भी कहा कि बाजार में पर्याप्त वैश्विक आपूर्ति उपलब्ध है और भारत जरूरत पड़ने पर सभी आवश्यक कदम उठाएगा ताकि नागरिकों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। हालांकि, ईरान की संसद ने होर्मुज को बंद करने की अनुमति दे दी है, लेकिन अंतिम निर्णय ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को लेना है।


भारत की तैयारी और आयात में वृद्धि

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत अपनी 40% कच्चे तेल और लगभग आधी गैस की आपूर्ति होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से करता है। फिर भी, मौजूदा संकट के मद्देनजर भारत ने पहले से तैयारी कर रखी है। रूस और अमेरिका से तेल आयात में तेजी से वृद्धि हुई है। जून में रूस से तेल आयात दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जबकि अमेरिका से कच्चे तेल का आयात मई की तुलना में 56% बढ़कर 4.39 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया है। इस प्रकार, भारत ने भू-राजनीतिक संकट के बीच अपनी ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए प्रभावी रणनीति अपनाई है।