ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद खाड़ी देशों की एकजुटता
अमेरिका का हवाई हमला और उसके परिणाम
शनिवार की रात, अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हवाई हमले का दावा किया है, जो इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुआ। इस हमले के बाद, कई खाड़ी देश ईरान के समर्थन में खड़े हो गए हैं। इन देशों ने अमेरिका के इस कदम की निंदा की है और इसे गलत ठहराया है। इजरायल पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अमेरिकी हमले के बावजूद, ईरान ने अपनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया है और रविवार को उसने इजरायल पर भी हवाई हमले किए हैं। इस स्थिति को देखते हुए तीसरे विश्व युद्ध की आशंका जताई जा रही है।
खाड़ी देशों की एकजुटता
सऊदी अरब, कतर, ओमान, इराक, पाकिस्तान और फिलिस्तीन जैसे देशों ने ईरान के समर्थन में आवाज उठाई है। इन देशों ने अमेरिका के हमले की निंदा की है, लेकिन ईरान को सैन्य सहायता देने का आश्वासन नहीं दिया है। सऊदी अरब ने ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
कतर, ओमान और इराक का बयान
कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह युद्ध विनाश की ओर बढ़ रहा है और अमेरिका ने हमले से इसे और भड़काया है। कतर ने सभी पक्षों से संयम और समझदारी से इस मुद्दे को सुलझाने की अपील की है। ओमान और इराक ने भी अमेरिका के हमले को चिंता का विषय बताया है।
पाकिस्तान और फिलिस्तीन की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान और फिलिस्तीन ने भी अमेरिका के हमले की निंदा की है। पाकिस्तान ने पहले अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल शांति पुरस्कार देने की सिफारिश की थी, लेकिन अब उसने अमेरिका के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है। फिलिस्तीन के सशस्त्र समूह हमास ने ईरान के साथ खड़े होने का भरोसा जताया है।
रूस और चीन की भूमिका
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के दौरान, रूस और चीन ने भी अपने रुख को स्पष्ट किया है। दोनों देश ईरान के समर्थन में हैं, लेकिन यह देखना होगा कि अमेरिका के हमले के बाद वे क्या कदम उठाते हैं। क्या वे ईरान को सैन्य सहायता देंगे या अमेरिका से शांति की बात करेंगे?
अमेरिका की चेतावनी
अमेरिका का दावा है कि उसने ईरान की परमाणु क्षमता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। इसके साथ ही, अमेरिका ने ईरान को चेतावनी दी है कि यदि उसने शांति समझौता नहीं किया, तो उस पर और हमले किए जाएंगे।