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ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद ट्रंप के दावों पर उठे सवाल: क्या वाकई हुआ है 'हिरोशिमा जैसा' नुकसान?

ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे 'हिरोशिमा जैसा' बताया, लेकिन नई खुफिया रिपोर्ट इस दावे को चुनौती दे रही हैं। फार्दो और नतांज पर हुए हमलों से ईरान की यूरेनियम संवर्धन क्षमताओं को केवल कुछ महीनों का नुकसान हुआ है। ईरान ने अपनी परमाणु क्षमताओं को छिपाने में सफलता का दावा किया है। इस बीच, व्हाइट हाउस ने हमले की प्रभावशीलता को लेकर सवाल उठाने वाली रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। जानें इस जटिल स्थिति के बारे में और क्या हो सकता है अमेरिका का अगला कदम।
 

अमेरिकी हमले के प्रभाव पर नई रिपोर्ट

इंटरनेशनल न्यूज. ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिका के हमले के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे 'हिरोशिमा जैसा निर्णायक वार' करार दिया था, लेकिन अब सैटेलाइट चित्र और अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट इस दावे को चुनौती दे रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, फार्दो और नतांज पर GBU-57 बमों के हमलों से ईरान की यूरेनियम संवर्धन क्षमताओं को केवल कुछ महीनों का नुकसान हुआ है, न कि दशकों का। ईरान ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी परमाणु क्षमताओं को छिपाने में सफल रहा है और 'खेल अभी खत्म नहीं हुआ' कहकर अपनी अगली रणनीति का संकेत दिया है। अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी के अनुसार, कई अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम भंडार पहले ही स्थानांतरित कर दिए गए थे, जिससे मुख्य नुकसान टल गया।


व्हाइट हाउस का खंडन

व्हाइट हाउस ने इस खुफिया रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि 'जब 30,000 पाउंड के बम सटीक गिरते हैं, तो तबाही पूरी होती है'। दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र की IAEA टीम ने अभी तक कोई औपचारिक निरीक्षण नहीं किया है, जिससे स्थिति और भी अस्पष्ट बनी हुई है। इस प्रकार, ट्रंप की 'ओब्लिटरेशन' थ्योरी और ईरान की 'बचाव रणनीति' के बीच भू-राजनीतिक संघर्ष और गहरा गया है।


ट्रंप का 'हिरोशिमा' बयान

ट्रंप का 'हिरोशिमा' दावा

ट्रंप ने कहा कि ईरान पर किया गया अमेरिकी हमला 'हिरोशिमा जैसा' था। उनका दावा है कि ईरान का न्यूक्लियर कार्यक्रम पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। उन्होंने इसे 'स्पेक्टैक्युलर मिलिट्री सक्सेस' बताया, जिसने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी। लेकिन क्या यह केवल एक राजनीतिक अतिशयोक्ति है?


हमले की तकनीकी जानकारी

हमले की टेक्निकल डिटेल्स

यूएस बी2 बॉम्बर्स ने Fordow और Natanz पर GBU-57 बम गिराए। इस्फहान पर 30 टॉमहॉक मिसाइलें अमेरिकी पनडुब्बी से दागी गईं। ये हमले केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नहीं, बल्कि मनोबल पर भी प्रभाव डालने के लिए थे। अमेरिकी सेना ने ऑपरेशन को पूरी तरह सफल बताया, लेकिन क्या यह वास्तविकता से मेल खाता है?


डीआईए रिपोर्ट का खुलासा

डीआईए रिपोर्ट का खुलासा

पेंटागन की खुफिया एजेंसी ने कहा कि परमाणु स्थलों को पूरी तरह से नष्ट नहीं किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि ईरान का समृद्ध यूरेनियम स्टॉक अधिकांशतः सुरक्षित है। सेंट्रीफ्यूज भी 'काफी हद तक सुरक्षित' हैं। नतीजा: न्यूक्लियर प्रोग्राम को कुछ महीनों के लिए पीछे धकेल दिया गया, लेकिन समाप्त नहीं किया गया। व्हाइट हाउस ने इस रिपोर्ट को नकार दिया है।


ईरान की प्रतिक्रिया

खेल अभी खत्म नहीं हुआ

ईरानी सरकार ने कहा, 'खेल खत्म नहीं हुआ'। उन्होंने दावा किया कि आवश्यक न्यूक्लियर संपत्ति पहले ही स्थानांतरित की जा चुकी थी। अटॉमिक एनर्जी प्रमुख ने कहा कि डैमेज कंट्रोल की तैयारी पहले से थी और उत्पादन जल्द ही फिर से शुरू किया जाएगा। तेहरान ने इसे अस्तित्व की लड़ाई कहा।


इज़राइल का बयान

ईरान का परमाणु प्रोजेक्ट तबाह कर दिया-नेतन्याहू

इज़रायली सेना ने कहा कि यह ऑपरेशन 'कार्यक्रम को वर्षों पीछे धकेलने' में सफल रहा। इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि 'हमने ईरान के परमाणु प्रोजेक्ट को तबाह कर दिया।' हालांकि, सैन्य प्रवक्ता ने माना कि अभी पूरी तरह से आंकलन करना जल्दबाज़ी होगी। सहयोगी देश अमेरिका के साथ रणनीतिक तालमेल पर संतोष व्यक्त किया गया।


यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया

यूरोपीय संघ ने संयम की अपील की

IAEA प्रमुख ग्रॉसी ने कहा कि असली मूल्यांकन अभी बाकी है। एजेंसी को साइट्स पर वापस भेजने की कोशिश जारी है। यूरोपीय संघ ने संयम की अपील की है। चीन और रूस ने अमेरिका की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टकराव की आशंका बनी हुई है।


अमेरिका का अगला कदम

निर्णायक होगा अमेरिका का अगला कदम

ट्रंप का संदेश स्पष्ट है—यदि ईरान फिर से कोशिश करेगा, तो हमला दोहराया जाएगा। लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस बयान के पीछे घरेलू राजनीति भी काम कर रही है। कूटनीति और सैन्य शक्ति के बीच अमेरिका का अगला कदम निर्णायक होगा। इस बार दांव केवल मध्यपूर्व नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता भी है। चुनाव से पहले ट्रंप के ऐसे बयान राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हैं।