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ईरान में राजनीतिक परिवर्तन की नई उम्मीदें: विपक्षी समूह सक्रिय

ईरान में राजनीतिक परिवर्तन की संभावनाएं फिर से चर्चा में हैं, जहां विपक्षी समूहों ने सक्रियता बढ़ाई है। इज़राइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष के बीच, रेज़ा पहलवी और एमईके जैसे समूह सत्ता परिवर्तन की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, आम जनता युद्ध और अस्थिरता के कारण भयभीत है। जानें इन समूहों की मांगें और चुनौतियां, और क्या ईरान में बदलाव संभव है।
 

ईरान में राजनीतिक परिवर्तन की संभावनाएं

ईरान के भीतर और बाहर सक्रिय विपक्षी संगठनों ने देश में राजनीतिक बदलाव की संभावनाओं को फिर से उजागर करना शुरू कर दिया है। इज़राइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष के साथ-साथ ईरानी सरकार की कमजोर होती स्थिति के चलते, इन समूहों का मानना है कि सत्ता परिवर्तन का "सुनहरा अवसर" उनके सामने है। हालांकि, ईरान की आम जनता युद्ध की आशंका और विदेशी हमलों के कारण भयभीत और असहाय महसूस कर रही है, वहीं निर्वासित विपक्षी नेता और विभिन्न सशस्त्र समूह सत्ता परिवर्तन की संभावनाओं पर सक्रिय हो गए हैं।




प्रमुख विपक्षी धड़ों में रेज़ा पहलवी का नाम सबसे पहले आता है। पूर्व शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी के बेटे, रेज़ा पहलवी ने हाल ही में मीडिया में कहा कि वे "राजनीतिक परिवर्तन का नेतृत्व" करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि "यह ईरान की आज़ादी का ऐतिहासिक क्षण है, और हमें इसे हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।"


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इसके अलावा, एमईके (मोजाहिदीन-ए-खलक) नामक विपक्षी समूह, जो इराक युद्ध के दौरान सद्दाम हुसैन का समर्थन करता था, भी सक्रिय है। इस पर "कल्ट जैसा व्यवहार" और मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप लगे हैं। इसके राजनीतिक मंच राष्ट्रीय प्रतिरोध परिषद (NCRI) की नेता मरियम रजवी ने पेरिस में एक सम्मेलन में कहा: "हम ना शाह को चाहते हैं, ना मौजूदा मोल्ला शासन को। हमारा उद्देश्य एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और स्वतंत्र ईरान है।"




इसके अलावा, क्षेत्रीय अलगाववादी संगठन भी सक्रिय हैं, जिनमें ईरान के कुर्द और बलूच क्षेत्रों में सक्रिय समूह शामिल हैं। माना जा रहा है कि वे इस संघर्ष का लाभ उठाकर विद्रोह की योजनाएं बना रहे हैं। हालांकि निर्वासित नेताओं और सशस्त्र गुटों की गतिविधियों में तेजी आई है, लेकिन ईरान की आम जनता युद्ध और अस्थिरता की आशंका से भयभीत है और इस समय आत्मरक्षा ही उनकी प्राथमिकता है।




महसा अमीनी आंदोलन में भाग लेने वाली कई युवा महिलाएं और छात्राएं कहती हैं कि वे सरकार से नाराज़ हैं, लेकिन इस समय सड़कों पर उतरना उनके लिए खतरनाक होगा। एक छात्रा ने कहा, "जब मिसाइलें गिर रही हों और विदेशी हमले हो रहे हों, तब हम विरोध नहीं, केवल जीवित रहने के बारे में सोच सकते हैं।"




हालांकि सत्ता परिवर्तन की चाह रखने वाले कई गुट हैं, लेकिन उनकी सबसे बड़ी चुनौती आपसी विभाजन और नेतृत्व का अभाव है। रेज़ा पहलवी शाह समर्थकों के लिए एक पसंदीदा चेहरा हैं, लेकिन धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की चाह रखने वाले उन्हें नकारते हैं। वहीं, एमईके पर भी कई ईरानियों का भरोसा नहीं है, खासकर उनकी इराक युद्ध में भूमिका के कारण। क्षेत्रीय विद्रोही समूहों को देश की अखंडता के लिए खतरा माना जाता है। इसलिए फिलहाल कोई ऐसा मंच या नेता नहीं है जो पूरे देश के असंतुष्ट वर्गों को एकजुट कर सके।




विपक्षी समूहों का हौसला इसलिए भी बढ़ा हुआ है क्योंकि इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हाल में ईरानी जनता को संबोधित करते हुए कहा है कि हम न केवल ईरान के परमाणु खतरे को खत्म कर रहे हैं, बल्कि आपकी स्वतंत्रता का रास्ता भी साफ कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान में शासन परिवर्तन या मौजूदा नेतृत्व का पतन इज़राइल के हमलों का घोषित लक्ष्य नहीं है, लेकिन यह एक संभावित परिणाम हो सकता है।




अमेरिका ने अब तक किसी ईरानी विपक्षी नेता को खुला समर्थन नहीं दिया है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि ईरानी विपक्ष के कुछ हिस्सों को गुप्त राजनयिक समर्थन मिल रहा है। ईरान में 46 वर्षों से काबिज मौजूदा शासन ने हर विरोध को कुचलने की रणनीति अपनाई है। इस बार हालात अस्थिर हैं, लेकिन जब तक विपक्ष संगठित और विश्वसनीय नहीं होता, सत्ता परिवर्तन की संभावना केवल एक सपना ही है। ईरान के भीतर बदलाव की चिंगारी तो मौजूद है, लेकिन इसे शोला बनने के लिए रणनीति, नेतृत्व, साहस और एकजुटता की आवश्यकता है।