×

उत्तर प्रदेश में अंसारी परिवार की राजनीतिक स्थिति पर संकट: अब्बास अंसारी की सदस्यता समाप्त

उत्तर प्रदेश की राजनीति में माफिया-राज के खिलाफ योगी आदित्यनाथ सरकार की मुहिम को एक और सफलता मिली है। मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी की सदस्यता समाप्त कर दी गई है, जिससे अंसारी परिवार की राजनीतिक विरासत पर संकट गहरा गया है। मुख्तार अंसारी के निधन के बाद अब्बास की विधायकी समाप्त होने से मऊ सदर सीट पर उपचुनाव का रास्ता खुल गया है। इस घटनाक्रम ने अंसारी परिवार के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या अब्बास का छोटा भाई उमर अंसारी इस विरासत को संभाल पाएगा? जानिए पूरी कहानी में।
 

अंसारी परिवार की राजनीतिक विरासत पर संकट

उत्तर प्रदेश की राजनीति में माफिया-राज के खिलाफ योगी आदित्यनाथ सरकार की मुहिम को एक और महत्वपूर्ण सफलता मिली है। मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता को समाप्त कर दिया गया है। यह कार्रवाई एक पुराने मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा दो साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद की गई है। इस घटनाक्रम ने पूर्वांचल की राजनीति में अंसारी परिवार के प्रभाव को चुनौती दी है और मऊ सदर सीट पर उपचुनाव का मार्ग प्रशस्त किया है।


मुख्तार अंसारी की विरासत पर संकट: यह घटना अंसारी परिवार के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर मुख्तार अंसारी के निधन के कुछ ही महीनों बाद। मुख्तार अंसारी, जो 1996 से इस सीट पर काबिज थे, की राजनीतिक विरासत अब उनके बेटे अब्बास अंसारी के हाथ में थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में, जब मुख्तार जेल में थे, अब्बास ने ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। लेकिन अब उनकी विधायकी समाप्त होने के बाद, मऊ सदर सीट पर अंसारी परिवार का लगभग तीन दशक पुराना एकाधिकार समाप्त होता दिख रहा है।


अंसारी परिवार का दबदबा: अंसारी परिवार का मऊ विधानसभा सीट पर कब्जा 1996 से रहा है। मुख्तार अंसारी ने पहली बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर जीत दर्ज की थी और उसके बाद लगातार चार बार विधायक चुने गए। उनकी राजनीतिक यात्रा 1986 में शुरू हुई थी, जब उनके खिलाफ पहला आपराधिक मामला दर्ज हुआ था। मुख्तार का खौफ न केवल पूर्वांचल में, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में बढ़ता गया।


योगी सरकार की कार्रवाई: योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद, माफियाओं के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाई गई। मुख्तार अंसारी इस नीति का एक प्रमुख निशाना बने। उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों की सुनवाई तेज कर दी गई और उनकी अवैध संपत्तियों पर कार्रवाई शुरू हुई। मुख्तार अंसारी को 2019 में बांदा जेल में बंद किया गया था और बाद में उन्हें पंजाब जेल में स्थानांतरित किया गया।


कानूनी शिकंजा: अंसारी परिवार पर कई मामले दर्ज हैं। मुख्तार के भाई शिबगतुल्लाह और अफजाल अंसारी पर भी कई मामले हैं। मुख्तार की पत्नी और अब्बास की पत्नी पर भी कई मामले चल रहे हैं। यह कानूनी शिकंजा अंसारी परिवार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।


मुख्तार का निधन और विरासत का सवाल: मार्च 2024 में मुख्तार अंसारी का निधन हो गया। उनके परिवार ने आरोप लगाया कि उन्हें जेल में 'धीमा जहर' दिया जा रहा था। अब जब अब्बास की विधायकी समाप्त हो गई है, तो सवाल उठता है कि मुख्तार की राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा। अब्बास के छोटे भाई उमर अंसारी का नाम सामने आया है, जो एक मामले में बरी हो चुके हैं।


उमर अंसारी की चुनौती: हालांकि, उमर के लिए हालात आसान नहीं होंगे। उनके खिलाफ भी कई मामले हैं। अगर किसी मामले में उनके खिलाफ फैसला आता है, तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जिस तरह से माफिया और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की है, उसे देखते हुए अंसारी परिवार के लिए इस स्थिति से निकलना मुश्किल हो सकता है।