उत्तर प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा विभाग का बजट खर्च नहीं हो रहा
चिकित्सा शिक्षा विभाग का बजट खर्च न होने की समस्या
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार चिकित्सा शिक्षा विभाग को सुधारने के लिए लगातार बजट आवंटित कर रही है, लेकिन विभाग इस बजट का सही उपयोग नहीं कर पा रहा है। इस कारण सरकार की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो रही हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए आवंटित 76 प्रतिशत धनराशि का उपयोग नहीं हुआ है, जो दर्शाता है कि अधिकारियों की रुचि कार्य में कम है।
इस वित्तीय वर्ष में चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए 14429.59 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था, जिसमें से 7505.30 करोड़ रुपये योजनाओं के लिए आवंटित किए गए थे। हालांकि, इन योजनाओं के लिए स्वीकृत 3208.81 करोड़ रुपये में से केवल 1789.19 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं, जो कुल आवंटित राशि का 24 प्रतिशत है।
इसी तरह, फार्मास्युटिकल रिसर्च डेवलपमेंट के लिए 20 करोड़ रुपये में से केवल 5 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं, जो आवंटन का 20 प्रतिशत है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज को 294.18 करोड़ रुपये में से 137.58 करोड़ रुपये (46.77 प्रतिशत) खर्च हुए हैं।
कानपुर के कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के लिए 101.03 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे, जिसमें से 61.19 प्रतिशत खर्च हुआ है। आजमगढ़ मेडिकल कॉलेज ने 108.53 करोड़ रुपये में से 59.96 प्रतिशत खर्च किया है। कानपुर मेडिकल कॉलेज को 226.92 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे, जिसमें से 157.34 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। केंद्र से 1382.90 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता भी पूरी तरह से बची हुई है।
इसके अलावा, फेज-3 के जिला चिकित्सालयों को उच्चीकृत करने के लिए 95 करोड़ रुपये और स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रमों में सीट वृद्धि के लिए 1239 करोड़ रुपये भी खर्च नहीं हुए हैं। नर्सिंग कॉलेज की स्थापना के लिए आवंटित 48 करोड़ रुपये भी बचे हुए हैं। एसजीपीजीआई और केजीएमयू जैसे संस्थानों ने क्रमशः 83.69 और 78.65 प्रतिशत बजट का उपयोग किया है।