उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग का विशेष पुनरीक्षण अभियान: 2.89 करोड़ मतदाता नाम हटाने की तैयारी
चुनाव आयोग का विशेष अभियान समाप्त
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग द्वारा चलाए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान का कार्य अब समाप्त हो चुका है। इस प्रक्रिया के तहत, राज्य की मतदाता सूची से लगभग 2.89 करोड़ नाम हटाए जाने की संभावना है, जो कुल 15.44 करोड़ मतदाताओं का लगभग 18.7 प्रतिशत है।
सूची को सटीक बनाने का उद्देश्य
आयोग का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को साफ और सटीक बनाना है। ड्राफ्ट मतदाता सूची 6 जनवरी 2026 को जारी की जाएगी, क्योंकि नए मतदान केंद्रों के निर्माण और अन्य तकनीकी कार्यों के लिए समय बढ़ाया गया है।
नाम कटने के प्रमुख कारण
नाम कटने के मुख्य कारण
चुनाव आयोग ने बताया है कि इतनी बड़ी संख्या में नाम हटाने के पीछे कई ठोस कारण हैं। इनमें से लगभग 1.26 करोड़ लोग स्थायी रूप से दूसरी जगह स्थानांतरित हो चुके हैं। लगभग 46 लाख मतदाता अब जीवित नहीं हैं। 23 से 25 लाख नाम डुप्लीकेट पाए गए हैं, यानी एक व्यक्ति का नाम कई स्थानों पर दर्ज था।
इसके अलावा, 80 लाख से अधिक लोग सर्वेक्षण में अनुपस्थित या लापता पाए गए हैं। कुछ लोग फॉर्म जमा नहीं कर सके। ये सभी नाम अब ड्राफ्ट सूची से बाहर हो सकते हैं, लेकिन प्रभावित लोग दावा-आपत्ति कर नाम वापस जोड़वा सकते हैं।
शहरी क्षेत्रों में अधिक प्रभाव
शहरी इलाकों में ज्यादा असर
यह परिवर्तन ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक स्पष्ट है। लखनऊ में लगभग 12 लाख नाम हटने की संभावना है, जो कुल मतदाताओं का लगभग 30 प्रतिशत है। गाजियाबाद में 8 लाख से अधिक, कानपुर और प्रयागराज में भी लाखों नाम कट सकते हैं। इसका कारण है शहरों में लोगों का अधिक आना-जाना, नौकरी या पढ़ाई के लिए पलायन और डुप्लीकेट एंट्री। नए मतदान केंद्रों के निर्माण से कुछ मतदाताओं के बूथ भी बदल रहे हैं।
अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन
6 मार्च को जारी होगी अंतिम मतदाता सूची
चुनाव आयोग ने SIR कार्यक्रम में बदलाव किया है। अब ड्राफ्ट सूची 6 जनवरी 2026 को प्रकाशित होगी। इसी दिन से 6 फरवरी तक दावे और आपत्तियां दर्ज की जा सकेंगी। फॉर्म 6 से नए मतदाता या नाम कटे लोग आवेदन कर सकते हैं। फॉर्म 7 से किसी के नाम पर आपत्ति जताई जा सकती है।
सभी दावों पर निर्णय लेने और नोटिस भेजने का कार्य फरवरी तक चलेगा। अंतिम मतदाता सूची 6 मार्च 2026 को जारी की जाएगी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा ने कहा कि यह प्रक्रिया लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए है।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
राजनीतिक पार्टियों का रुख
इस बड़े बदलाव पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भिन्न हैं। विपक्षी दल जैसे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं, लेकिन बड़ी शिकायतें अभी तक नहीं आई हैं। सपा ने अपने कार्यकर्ताओं को लापता मतदाताओं की खोज करने का निर्देश दिया है।
भाजपा का ध्यान नए युवा मतदाताओं पर है, जिनकी संख्या लाखों में बढ़ सकती है। आयोग ने सभी दलों से सहयोग की अपील की है ताकि कोई योग्य मतदाता छूट न जाए।