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उत्तर प्रदेश में पहला डिजिटल हाईवे: बाराबंकी से बहराइच तक यात्रा में बदलाव

उत्तर प्रदेश सरकार ने बाराबंकी से बहराइच के बीच देश के पहले डिजिटल हाईवे के निर्माण की योजना बनाई है। यह 101 किलोमीटर लंबा हाईवे न केवल यात्रा को सरल और सुरक्षित बनाएगा, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा। हाईवे पर ऑप्टिकल फाइबर केबल्स और सुरक्षा कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे यात्रियों को बेहतर इंटरनेट सेवा और सुरक्षा मिलेगी। इस परियोजना का कार्य तीन चरणों में पूरा किया जाएगा, जिसमें कुल 2,500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। जानें इस हाईवे की विशेषताएँ और इसके निर्माण की समयसीमा।
 

डिजिटल हाईवे का महत्व

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क संपर्क को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एक अनोखा कदम उठाया है।


बाराबंकी से बहराइच के बीच देश का पहला डिजिटल हाईवे बनाने की योजना तैयार की गई है। यह 101 किलोमीटर लंबा हाईवे न केवल यात्रा को सरल और सुरक्षित बनाएगा, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक से उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचे को भी सुदृढ़ करेगा। यह परियोजना बाराबंकी, बहराइच, गोंडा, और बलरामपुर के निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण उपहार साबित होगी, साथ ही नेपाल जाने वाले यात्रियों के लिए भी एक सुरक्षित मार्ग प्रदान करेगी।


डिजिटल हाईवे की विशेषताएँ

इस डिजिटल हाईवे की एक प्रमुख विशेषता इसकी 24 घंटे की नेटवर्क कनेक्टिविटी होगी। हाईवे पर ऑप्टिकल फाइबर केबल्स बिछाए जाएंगे, जिससे यात्रियों को निर्बाध इंटरनेट सेवा प्राप्त होगी।


सुरक्षा को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय परमिट रजिस्टर (NPR) कैमरे लगाए जाएंगे, जो दुर्घटनाओं को रोकने और निगरानी को बेहतर बनाने में सहायक होंगे। पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था से रात में यात्रा भी सुरक्षित होगी। यह हाईवे न केवल यात्रा के समय को कम करेगा, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी प्रोत्साहित करेगा।


परियोजना का कार्यान्वयन

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस परियोजना को तीन चरणों में पूरा करेगा। पहले चरण में बाराबंकी से जरवल तक 51 किलोमीटर का हिस्सा विकसित किया जाएगा, जिसके लिए केंद्र सरकार ने 975 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।


दूसरे चरण में घाघरा नदी पर एक किलोमीटर लंबा पुल बनाया जाएगा, और तीसरे चरण में जरवल से बहराइच तक 49 किलोमीटर का हाईवे तैयार होगा। कुल मिलाकर, इस परियोजना पर 2,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। टेंडर प्रक्रिया की समयसीमा को 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया है, और अगले वित्तीय वर्ष में निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है। यह डिजिटल हाईवे उत्तर प्रदेश को आधुनिक बुनियादी ढांचे की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम और आगे ले जाएगा।