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उत्तर प्रदेश में बाढ़ से हाहाकार, राहत की कोई व्यवस्था नहीं

उत्तर प्रदेश में बाढ़ ने 22 जिलों में तबाही मचाई है, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने सरकार की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं, जबकि बाढ़ पीड़ितों को राहत की कोई व्यवस्था नहीं मिल रही है। जानें कैसे लोग खाद्य सामग्री और चिकित्सा के लिए तरस रहे हैं और सरकार की आंतरिक खींचतान ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।
 

बाढ़ की स्थिति और सरकार की लापरवाही


लखनऊ। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में बाढ़ की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि 22 जिलों में बाढ़ ने तबाही मचाई है। गंगा, यमुना, राप्ती, सरयू और घाघरा नदियां उफान पर हैं, जिससे कई लोगों की जान भी चली गई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोग गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जैसे कि खाद्य सामग्री और चिकित्सा की कमी। पशुओं के लिए चारे की भी भारी कमी है, और सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिल रही है।


उरई में सड़कों पर पानी भर गया है, जिससे बच्चों को दूध भी नहीं मिल पा रहा है। पहली मंजिल तक पानी भरने से कई लोग बेघर हो गए हैं। लगभग 100 घरों में पानी भर गया है और दुकाने बंद हैं। प्रयागराज में 80 हजार प्रतियोगी छात्र लाज-कमरे छोड़कर चले गए हैं, और 400 से अधिक लाइब्रेरी बंद हो गई हैं। शहर के 60 मोहल्लों और 90 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। बड़ी संख्या में लोग राहत शिविरों में या रिश्तेदारों के पास चले गए हैं।


राजधानी लखनऊ में भी भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। खेतों में पानी भरने से फसलों को नुकसान हो रहा है, जिससे किसान चिंतित हैं। जर्जर मकान गिरने से कई लोग घायल हो चुके हैं और कुछ की मौत भी हो चुकी है। बिजली की कटौती से बड़ी आबादी परेशान है, और ट्रांसफार्मर फटने से कई हादसे हो चुके हैं। बिजली विभाग की स्थिति भी चिंताजनक है।


बाढ़ के कारण सड़कों की स्थिति भी खराब हो गई है। कई सड़कें उखड़ गई हैं और जगह-जगह गड्ढे होने से वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। एयरपोर्ट से बनी सड़क सबसे ज्यादा खराब है। सरकार ने सड़कों के गड्ढे भरने के लिए धनराशि खर्च करने का दावा किया है, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण काम नहीं हो रहा है।


बाढ़ पीड़ितों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। भाजपा सरकार अपनी आंतरिक खींचतान में उलझी हुई है। बाढ़ पीड़ित कई जगह फंसे हुए हैं और उन्हें तुरंत राहत की आवश्यकता है। भोजन, पानी और दवा की व्यवस्था करना शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी है, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया है। जनता अब 2027 के चुनावों में इस लापरवाही का जवाब देने का मन बना चुकी है।