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उत्तर प्रदेश में बिहार के समीकरणों का प्रभाव: नीतीश कुमार की स्थिति

ओमप्रकाश राजभर ने बिहार के सामाजिक समीकरणों को उत्तर प्रदेश में लागू करने का प्रयास किया है। चुनाव परिणामों के बाद, उन्होंने एनडीए के खिलाफ अपनी गतिविधियों को समाप्त कर दिया है। जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री पद पर स्थिति सुरक्षित है, और भाजपा की रणनीति गैर यादव पिछड़ी जातियों को एकजुट करने पर केंद्रित है। इस लेख में जानें कि ये समीकरण उत्तर प्रदेश के चुनावों पर कैसे प्रभाव डाल सकते हैं।
 

बिहार के समीकरणों का उत्तर प्रदेश पर असर

ओमप्रकाश राजभर ने अब यह महसूस किया है कि बिहार में बने सामाजिक समीकरण उत्तर प्रदेश में भी प्रभावी हो सकते हैं। चुनाव परिणामों के बाद, उन्होंने एनडीए के खिलाफ अपनी राजनीतिक गतिविधियों को समाप्त कर दिया है। वास्तव में, बिहार में जो सामाजिक समीकरण विकसित हुआ है, वह उत्तर प्रदेश के आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसीलिए, यह भी कहा जा रहा है कि ये समीकरण उत्तर प्रदेश के चुनावों तक बने रहेंगे। इस संदर्भ में यह सवाल भी उठता है कि नीतीश कुमार कब तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और भाजपा कब अपना मुख्यमंत्री नियुक्त करेगी।


नीतीश कुमार की कुर्सी पर कोई खतरा नहीं

विशेषज्ञों का मानना है कि 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तक नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री पद पर कोई चुनौती नहीं है। उस समय तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहेंगे, जबकि सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य करेंगे। भाजपा को गैर यादव पिछड़ी जातियों को एकजुट करने में इस फॉर्मूले से सहायता मिल सकती है। केशव प्रसाद मौर्य इस फॉर्मूले के प्रमुख प्रतिनिधि हैं। हालांकि, नीतीश कुमार का राजनीतिक कद बहुत बड़ा है और सम्राट चौधरी का भी प्रभाव बढ़ा है। इसके साथ ही, सवर्ण वोटों में भूमिहारों को आकर्षित करने का प्रयास भी किया गया है।