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उत्तर प्रदेश में स्कूलों के मर्जर पर हाईकोर्ट का फैसला, संजय सिंह ने जताई निराशा

उत्तर प्रदेश में स्कूलों के मर्जर के खिलाफ हाईकोर्ट के फैसले पर संजय सिंह ने निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई को बचाने की गुहार को नजरअंदाज किया गया है। संजय सिंह ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने का निर्णय लिया है। जानें इस मामले में और क्या कहा गया है और इसके पीछे की वजहें क्या हैं।
 

संजय सिंह का बयान


लखनऊ। आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के बच्चों ने न्यायालय से पढ़ाई को बचाने की अपील की थी, लेकिन पहले सरकार ने स्कूलों को बंद किया और अब न्यायालय ने उनकी उम्मीदें भी छीन ली हैं।




संजय सिंह ने कहा कि वह हाईकोर्ट के निर्णय से चकित हैं। यह बयान उन्होंने सरकारी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ दायर याचिका पर उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यही ‘शिक्षा का अधिकार’ है? आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी और इसे सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने का निर्णय लिया है।


गौरतलब है कि लखनऊ खंडपीठ ने यूपी के 5000 स्कूलों के मर्जर के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सरकार के निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि यह बच्चों के हित में है। नीतिगत निर्णयों को चुनौती नहीं दी जा सकती जब तक कि वे असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हों।


बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून, 2025 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें यूपी के हजारों स्कूलों को बच्चों की संख्या के आधार पर नजदीकी उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने का निर्देश दिया गया था। सरकार का तर्क था कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा।


सीतापुर जिले की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चों ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह आदेश मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून (RTE Act) का उल्लंघन करता है।


छोटे बच्चों के लिए नए स्कूलों तक पहुंचना मुश्किल होगा, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी और असमानता भी बढ़ेगी। 4 जुलाई को जस्टिस पंकज भाटिया ने फैसला सुरक्षित रखा था। आज दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।