उत्तर भारत में मानसून का कहर: रिकॉर्ड बारिश और प्राकृतिक आपदाएं
उत्तर भारत में मानसून का प्रभाव
उत्तर भारत में मानसून: इस वर्ष उत्तर भारत में मानसून ने अभूतपूर्व तबाही मचाई है। पिछले 14 वर्षों में पहली बार लगातार दो हफ्तों तक इतनी अधिक बारिश हुई है। 22 अगस्त से 4 सितंबर के बीच सामान्य से तीन गुना अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
इस अवधि में कई गंभीर प्राकृतिक आपदाएं भी देखने को मिलीं, जैसे कि जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी मार्ग पर बादल फटने की घटना, पंजाब में दशकों बाद आई सबसे बड़ी बाढ़, दिल्ली में यमुना का जलस्तर तीसरे सबसे ऊंचे स्तर तक पहुंचना और हिमाचल-उत्तराखंड में भूस्खलन जैसी घटनाएं।
वर्षा के आंकड़े
सिर्फ 14 दिनों में औसतन 205.3 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य वर्षा 73.1 मिमी होती है। इसका मतलब है कि दो हफ्तों में ही पूरे मानसून का 35% कोटा पूरा हो गया। 1 जून से 4 सितंबर तक कुल 691.7 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से 37% अधिक है। यदि सितंबर के बाकी दिनों में भी सामान्य बारिश होती है, तो यह आंकड़ा 750 मिमी को पार कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह 1988 के बाद का दूसरा सबसे अधिक बारिश वाला मानसून हो सकता है।