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उत्तर सिक्किम में भूस्खलन: भारतीय सेना की राहत कार्यों में तत्परता

उत्तर सिक्किम में हाल ही में आए भूस्खलन के बाद, भारतीय सेना ने स्थानीय निवासियों और फंसे हुए पर्यटकों की सहायता के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। लाचेन गांव का संपर्क टूट गया था, लेकिन सेना ने पैदल मार्ग स्थापित कर 113 पर्यटकों तक पहुंच बनाई है। पहले भी, सेना ने 30 पर्यटकों को सुरक्षित निकाला था। चटेन सैन्य शिविर में छह लोग लापता हैं, जिनकी खोज जारी है। सेना का कहना है कि हर जीवन मायने रखता है और वे हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
 

भूस्खलन के बाद राहत कार्य

उत्तर सिक्किम में आए विनाशकारी भूस्खलन के बाद, भारतीय सेना ने कठिन मौसम और खतरनाक इलाकों में स्थानीय निवासियों और फंसे हुए पर्यटकों की सहायता के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। लाचेन गांव, जो इस क्षेत्र का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, का संपर्क पूरी तरह से टूट गया था। सेना ने अब गांव तक पैदल मार्ग स्थापित कर लिया है और 113 पर्यटकों तक पहुंच बनाई है, जिन्हें जल्द ही सुरक्षित निकाला जाएगा।


पहले का रेस्क्यू ऑपरेशन

इससे पहले, 3 जून 2025 को, भारतीय सेना के हेलीकॉप्टरों ने 30 पर्यटकों, जिनमें कुछ विदेशी नागरिक भी शामिल थे, को सुरक्षित हवाई मार्ग से बाहर निकाला था।


चटेन सैन्य शिविर में खोज अभियान

चटेन सैन्य शिविर में खोज अभियान जारी

चटेन में एक सैन्य शिविर पर भूस्खलन के बाद छह लोग अभी भी लापता हैं। इनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रीतपाल सिंह संधु, सूबेदार धर्मवीर, नायक सुनीलाल मुचहारी, सिपाही सैनुद्दीन पीके, लेफ्टिनेंट कर्नल संधु की पत्नी स्क्वाड्रन लीडर आरती संधु (सेवानिवृत्त), और उनकी बेटी मिस अमायरा संधु शामिल हैं। सेना ने विशेषज्ञ टीमें और इंजीनियरिंग उपकरण तैनात किए हैं, लेकिन खराब मौसम और दुर्गम इलाके ने रेस्क्यू कार्यों में कठिनाइयाँ पैदा की हैं।
 


सेना का संकल्प

सेना बोली- हर जीवन मायने रखता है

भारतीय सेना ने कहा, “हर जीवन मायने रखता है, और हर संभव प्रयास जारी है।” विपरीत परिस्थितियों में भी, सेना की टीमें खोज और बचाव कार्य में जुटी हैं। अत्याधुनिक उपकरणों और प्रशिक्षित जवानों के साथ, सेना यह सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात काम कर रही है कि कोई भी पीछे न छूटे। 


लाचेन गांव को मिली सहायता

लाचेन गांव को मिली मदद

लाचेन, जो उत्तर सिक्किम का प्रमुख पर्यटन केंद्र है, भूस्खलन के कारण पूरी तरह अलग-थलग पड़ गया था। भारतीय सेना ने न केवल गांव तक पहुंच बनाई, बल्कि आवश्यक आपूर्ति और सहायता भी प्रदान की। पर्यटकों की सुरक्षित निकासी के लिए सेना ने हेलीकॉप्टर और जमीनी संसाधनों का उपयोग किया है।