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उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद राहत कार्य जारी

उत्तरकाशी के धराली-हर्षिल क्षेत्र में बादल फटने के बाद राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं। सेना और राज्य सरकार मिलकर प्रभावित लोगों की सहायता कर रही हैं। ब्रिगेडियर एम.एस. ढिल्लन ने बताया कि आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार शामिल है, ताकि मलबे में फंसे लोगों को खोजा जा सके। जानें इस आपदा के बाद राहत कार्यों की पूरी स्थिति और प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे प्रयासों के बारे में।
 

उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना

उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली-हर्षिल क्षेत्र में बादल फटने के कारण राहत और बचाव कार्यों में सेना, राज्य सरकार और अन्य एजेंसियां सक्रिय रूप से जुटी हुई हैं। इस आपदा ने क्षेत्र में व्यापक नुकसान पहुँचाया है, और प्रभावित लोगों की सहायता के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। ब्रिगेडियर एम.एस. ढिल्लन ने इस अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की।


बचाव कार्य जारी है


ब्रिगेडियर ढिल्लन ने बताया, "5 अगस्त से सेना, राज्य सरकार और अन्य एजेंसियां लगातार राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं। आज हमारा मुख्य ध्यान उन लोगों को खोजने पर है, जो बादल फटने के बाद मलबे में फंसे हुए हैं।" उन्होंने कहा कि इस अभियान में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके। धराली के आपदाग्रस्त क्षेत्रों से प्रभावित लोगों को निकालने और वहां आवश्यक राहत सामग्री भेजने का कार्य निरंतर चल रहा है।


धराली आपदाग्रस्त क्षेत्रों से प्रभावित लोगों को निकालने और वहां जरूरी राहत सामग्री भेजने का कार्य निरंतर चल रहा है।#Dharali #Uttarkashi #Uttarakhand #UttarkashiCloudburst #ReliefMaterial pic.twitter.com/MRSubtioST



ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार का उपयोग


ब्रिगेडियर ने आगे कहा कि बचाव कार्य को और प्रभावी बनाने के लिए सेना ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल कर रही है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, "हम ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार का उपयोग कर रहे हैं, जो जमीन के नीचे दबे हुए मानव या धातु की वस्तुओं की पहचान करता है।"


#WATCH | Uttarkashi, Uttarakhand: On the ongoing search operation in the Dharali-Harsil area following a cloudburst, Brigadier M S Dhillon says, "Since the 5th August, the army, state government, and other agencies have been continuously working on rescue and relief operations.… pic.twitter.com/sk4TqvMetb


यह तकनीक मलबे में फंसे लोगों को खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जिससे बचाव कार्य में तेजी आई है। उन्होंने बताया कि संचार व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सेना ने क्षेत्र में सैटेलाइट संचार की व्यवस्था भी की है। ब्रिगेडियर ढिल्लन ने बताया, "हमने सैटेलाइट संचार स्थापित किया है ताकि राहत कार्यों में समन्वय बना रहे।"