उत्तराखंड में बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ा, प्रशासन अलर्ट पर
उत्तराखंड में बारिश का प्रभाव
उत्तराखंड मौसम: राज्य में लगातार हो रही वर्षा के कारण कई नदियों का जलस्तर खतरे के स्तर के करीब पहुँच गया है। इस स्थिति को देखते हुए सिंचाई विभाग और केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष ने सतर्कता बरतने का निर्णय लिया है। संवेदनशील क्षेत्रों में नदियों के जलस्तर की बारीकी से निगरानी की जा रही है।
राज्य के प्रमुख बैराजों और जलाशयों के स्तर की भी निरंतर निगरानी की जा रही है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित राहत कार्य शुरू किया जा सके। नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण निचले इलाकों में चेतावनी जारी की गई है।
जलस्तर में वृद्धि के स्थान
कहाँ-कहाँ जलस्तर खतरे के करीब?
- 13 स्थानों में से 5 स्थानों पर दोपहर 3 बजे तक नदियों का जलस्तर बढ़ता रहा।
- सत्यनारायण: सौंग नदी 338.20 मीटर के खतरे के निशान के मुकाबले 337.15 मीटर तक पहुँच गई।
- जोशीमठ: अलकनंदा नदी 1383.00 मीटर के खतरे के निशान के मुकाबले 1375.89 मीटर तक बढ़ी।
- चमगाढ़ (पिथौरागढ़): सरयू नदी 453 मीटर के खतरे के निशान के मुकाबले 447.80 मीटर तक पहुँच गई।
- धारचूला: काली नदी 890 मीटर के निशान के मुकाबले 888.50 मीटर तक चढ़ी।
- जौलजीबी: गौरी नदी 607.80 मीटर खतरे के निशान के मुकाबले 604.25 मीटर तक पहुँच गई।
अन्य नदियों की स्थिति
अन्य नदियों का हाल
- मदकोट: गौरी नदी 1215.10 मीटर के खतरे के निशान के मुकाबले 1211.65 मीटर तक पहुँच गई।
- चौखुटिया: रामगंगा नदी 923.45 मीटर में से 921.70 मीटर तक पहुँच गई।
- कपकोट व बागेश्वर: सरयू नदी क्रमशः 1031 और 866.10 मीटर पर दर्ज की गई, जो खतरे के निशान से थोड़ी नीचे है।
- ऋषिकेश (माया कुंड): गंगा नदी 337.15 मीटर तक पहुँच गई, खतरे का निशान 340.50 मीटर है।
- नौगांव: यमुना नदी 1058.96 मीटर पर रही जबकि खतरे का स्तर 1059.50 मीटर है।
- ट्यूनी: टोन्स नदी 888.80 मीटर तक पहुँच गई, खतरे का निशान 903.23 मीटर है।
बैराज और जलाशयों की स्थिति
बैराज और जलाशय भी अलर्ट पर
राज्य के 12 प्रमुख बैराजों और 12 जलाशयों में से 8 स्थानों पर जलस्तर स्थिर बना हुआ है। 2 स्थानों पर जलस्तर में वृद्धि देखी गई है, जबकि 2 जगहों पर जलस्तर में गिरावट आई है। सिंचाई विभाग की विशेष टीमें इन जल स्रोतों पर 24 घंटे नजर रखे हुए हैं, ताकि किसी भी स्थिति से तुरंत निपटा जा सके।
राज्य में बारिश के कारण नदियों और जलाशयों का जलस्तर तेजी से बदल रहा है। प्रशासन और संबंधित विभाग सतर्क हैं। लोगों से अनुरोध है कि नदी किनारे न जाएं और किसी भी आपात स्थिति में स्थानीय प्रशासन की सलाह का पालन करें।