उत्तराखंड सरकार के ऐतिहासिक निर्णय: सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए नई योजनाएं
सैनिकों के कल्याण के लिए उठाए गए कदम
उत्तराखंड की धामी सरकार ने पिछले चार वर्षों में सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण को प्राथमिकता दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में, सरकार ने न केवल नीतिगत निर्णय लिए हैं, बल्कि कई योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू भी किया है।
देहरादून में अमर बलिदानियों की याद में एक भव्य सैन्य धाम का निर्माण किया गया है, जिसमें प्रदेश की 28 नदियों का जल और शहीदों की मिट्टी समर्पित की गई है। यह स्थल राष्ट्रीय श्रद्धा का प्रतीक बन गया है।
शहीदों के सम्मान में निर्माण कार्य
राज्य में शहीद स्मारकों का निर्माण किया जा रहा है, और स्कूलों तथा सड़कों का नामकरण शहीदों के नाम पर किया जा रहा है। खटीमा में सैनिक मिलन केंद्र और सीएसडी कैंटीन का निर्माण कार्य जारी है, जबकि टनकपुर में आधुनिक सैनिक विश्राम गृह का निर्माण भी प्रगति पर है।
अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी के लाभ
धामी सरकार ने शहीद सैनिकों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि को 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दिया है। इसके अलावा, शहीद परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी या पूर्व सैनिकों जैसी छूट का प्रावधान किया गया है। सरकारी नौकरी के लिए आवेदन की समयसीमा को दो वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया है।
ड्रोन प्रशिक्षण और यात्रा लाभ
पूर्व सैनिक वीरांगनाओं और पुत्रियों को रोजगारपरक ड्रोन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और वीरांगनाओं को बदरीनाथ धाम की निःशुल्क यात्रा का लाभ भी मिल रहा है।
वीरता पुरस्कार और श्रद्धांजलि समारोह
वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों को उत्तराखंड रोडवेज में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी गई है। 25 लाख रुपए तक की संपत्ति खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में 25 प्रतिशत की छूट का प्रावधान भी किया गया है।
26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर देहरादून में एक भव्य श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया, जिसमें राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने वीर सैनिकों को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
इस अवसर पर मेजर जनरल एमपीएस गिल, रियर एडमिरल पियूष पॉसी, ब्रिगेडियर आरएस थापा सहित तीनों सेनाओं के पूर्व सैनिक, वीर नारियां, एनसीसी कैडेट्स और सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। समारोह की शुरुआत मार्च पास्ट से हुई, जिसमें 120 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।
राज्यपाल ने कहा, “राष्ट्र सदैव वीर नारियों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के साथ खड़ा है।” उन्होंने युवाओं को राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित होने का आह्वान किया।