उत्तराखंड स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका
भाजपा की स्थिति में गिरावट
उत्तराखंड में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने एक ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। हालांकि, सत्ता में लगातार दूसरी बार रहने के बावजूद, पार्टी की स्थिति अब कमजोर होती जा रही है, जो स्थानीय निकाय चुनावों में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया है। दोनों प्रमुख पार्टियों, कांग्रेस और भाजपा, ने चुनाव में जीत का दावा किया है, लेकिन असलियत यह है कि निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। भाजपा ने जिला पंचायत की 358 सीटों में से केवल 120 सीटें जीती हैं, जो कि एक बड़ा झटका है। इसके बाद, पार्टी ने बागियों को अपने पक्ष में लाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के जिले चमोली में पार्टी को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। यहां कुल 26 जिला पंचायत सीटों में से भाजपा केवल चार सीटें जीत सकी है, जबकि कांग्रेस ने सात सीटें हासिल की हैं। चमोली में भाजपा के पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी की पत्नी रजनी भंडारी चुनाव हार गईं। इसके अलावा, भाजपा के जिला अध्यक्ष गजपाल बर्थवाल चौथे स्थान पर रहे। लैंसडाउन में भाजपा विधायक महंत दिलीप की पत्नी नीतू रावत और सल्ट से विधायक महेश जीना के बेटे करण भी चुनाव हार गए। नैनीताल के भाजपा विधायक सरिता आर्य के बेटे रोहित भी हार गए। नैनीताल की निवर्तमान जिला परिषद अध्यक्ष बेला तौलिया भी चुनाव में सफल नहीं हो पाईं। एक और दिलचस्प बात यह है कि प्रसिद्ध इन्फ्लुएंसर दीपा नेगी ने चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें केवल 256 वोट मिले।