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उत्तराखंड हेलीकॉप्टर दुर्घटना: जयपुर के परिवार पर दुखों का पहाड़

उत्तराखंड में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना ने जयपुर के एक परिवार को गहरे दुख में डाल दिया है। जवान बेटे की शहादत के बाद, उसकी तेरहवीं के दिन मां का निधन हो गया। यह घटना पूरे शहर में शोक का माहौल बना गई है। जानें इस परिवार की दुखद कहानी और शहीद राजवीर सिंह के समर्पण के बारे में।
 

जयपुर के परिवार में शोक की लहर

उत्तराखंड हेलीकॉप्टर दुर्घटना: जयपुर के एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उत्तराखंड में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में जवान बेटे की शहादत की खबर से परिवार अभी उबर नहीं पाया था कि उसकी तेरहवीं के दिन मां ने भी दम तोड़ दिया। यह घटना पूरे शहर में शोक का माहौल बना गई है।


दुखद घटना का आरंभ

यह दुखद घटना तब शुरू हुई जब जयपुर के राजवीर सिंह 15 जून को उत्तराखंड के केदारनाथ धाम के पास गौरीकुंड में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश का शिकार हो गए। इस हादसे में पायलट सहित 7 लोगों की जान चली गई। उल्लेखनीय है कि पायलट राजवीर सिंह जयपुर के शास्त्री नगर के निवासी थे।


तेरहवीं के दिन मां का निधन

राजवीर की शहादत की खबर सुनकर जयपुर में उनके परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था। वे किसी तरह खुद को संभालकर अपने बेटे की तेरहवीं की रस्में पूरी कर रहे थे, तभी दुखों का पहाड़ फिर टूट पड़ा। तेरहवीं के दिन ही राजवीर की मां, विजय लक्ष्मी चौहान के सीने में अचानक तेज दर्द उठा।


मां का सदमा सहन नहीं कर पाईं

परिवार वालों ने तुरंत विजय लक्ष्मी को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टर्स ने उन्हें देखते ही मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। परिवार का कहना है कि वह बेटे के जाने का सदमा नहीं सह पाईं। बेटे की अंतिम रस्में पूरी होने से पहले ही मां ने भी दुनिया छोड़ दी, जो परिवार के लिए एक और बड़ा झटका था। परिवार ने नम आंखों से विजय लक्ष्मी चौहान का अंतिम संस्कार कर दिया है।


राजवीर का समर्पण

शहीद राजवीर सिंह चौहान का जीवन देश सेवा को समर्पित था। वह आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर हुए थे और उन्होंने सेना में रहकर करीब 14 साल तक देश की सेवा की थी। सेना से रिटायर होने के बाद वह पायलट बने। उन्हें 2000 घंटे से ज्यादा का फ्लाइट अनुभव था।