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उपराष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया: जानें योग्यताएं और मतदान की विधि

भारतीय राजनीति में उपराष्ट्रपति का चुनाव एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस लेख में, हम उपराष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक योग्यताओं, कार्यकाल और मतदान की विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे। हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद, यह चर्चा का विषय बन गया है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। जानें इस प्रक्रिया के बारे में और क्या हैं इसके नियम।
 

उपराष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया:

भारतीय राजनीति में सोमवार का दिन काफी उत्साह और आश्चर्य से भरा रहा। यह दिन न केवल सप्ताह का पहला दिन था, बल्कि संसद के मानसून सत्र का आरंभ भी था। दिन की शुरुआत में काफी हलचल देखने को मिली, लेकिन दोपहर में संसद की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। शाम को सत्र समाप्त होने के बाद, अचानक राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी और लोगों में यह चर्चा होने लगी कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। आइए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है और इसके लिए क्या योग्यताएं आवश्यक हैं।


उपराष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक योग्यताएं

– भारत का नागरिक होना अनिवार्य है।
– उम्मीदवार की उम्र 35 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
– राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता होनी चाहिए।
– उम्मीदवार को राज्य या केंद्र सरकार से कोई लाभ नहीं लेना चाहिए।


उपराष्ट्रपति का कार्यकाल

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएं और चुनाव संबंधी प्रावधान दिए गए हैं। अनुच्छेद 67 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष होता है। अनुच्छेद 68(1) में यह उल्लेखित है कि उपराष्ट्रपति की नियुक्ति वर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल समाप्त होने से पहले हो जानी चाहिए। संविधान में उपराष्ट्रपति के पद को खाली रखने का कोई प्रावधान नहीं है। उपराष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने के लिए 15,000 रुपये की जमानत राशि भी जमा करनी होती है।


उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान और गणना की प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदन भाग लेते हैं। इसमें राज्यसभा के 245 और लोकसभा के 543 सांसद शामिल होते हैं। उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (प्रपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम) के तहत होता है। इस प्रक्रिया में वोटिंग को सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहा जाता है। सदस्यों को एक बैलेट पेपर दिया जाता है, जिसमें उन्हें सभी प्रत्याशियों को प्राथमिकता के अनुसार क्रमांकित करना होता है। इसके बाद सभी वोटों की गणना की जाती है। आधे वोटों में 1 जोड़कर जो संख्या प्राप्त होती है, वही जीत के लिए बहुमत मानी जाती है।