उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: राजनीतिक हलचल का संकेत
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे देशभर में चर्चा का माहौल बन गया है। सांसद पप्पू यादव ने उनके इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए कई गंभीर टिप्पणियाँ की हैं।
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व को न तो संविधान की परवाह है, न लोकतंत्र की और न ही स्वतंत्रता की। जब जगदीप धनखड़ ने निष्पक्षता और सच्चाई का मार्ग अपनाया, तब वे भाजपा को पसंद नहीं आए।
उन्होंने यह भी कहा कि धनखड़ का इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों से नहीं, बल्कि एक सुनियोजित राजनीतिक घटनाक्रम का हिस्सा है। जब उनकी सेहत खराब थी, तब उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया, लेकिन सत्र के पहले दिन इस्तीफा देना यह दर्शाता है कि कुछ बड़ा चल रहा है। यादव ने आरोप लगाया कि धनखड़ जाट समुदाय से हैं और उनकी स्वाभिमानी प्रवृत्ति भाजपा नेतृत्व को स्वीकार नहीं थी। आज उनका आत्मसम्मान जाग गया और उन्होंने कहा- लो अपना पद, अब हम सच्चाई के रास्ते चलेंगे।
पप्पू यादव ने यह भी दावा किया कि यह इस्तीफा भाजपा और आरएसएस के बीच चल रही आंतरिक खींचतान का परिणाम है। यह दो प्रमुख व्यक्तियों के बीच का इगो संघर्ष है, जिसमें धनखड़ बलि का बकरा बन गए।
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने इसे भारतीय राजनीति के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बताया और कहा कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं, विशेषकर प्रधानमंत्री को चाहिए था कि वे धनखड़ को मनाने का प्रयास करते।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद रामगोपाल यादव ने इस्तीफे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वे स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं, लेकिन इसके पीछे की वास्तविकता से अनजान हैं।
गौरतलब है कि भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया। उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब उनके कार्यकाल में अभी दो साल बाकी हैं। अगस्त 2022 में पदभार ग्रहण करने वाले धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र भेजा, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 67(ए) का उल्लेख किया है।