उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन का ब्रह्माकुमारी संस्थान दौरा: मन की विजय को बताया सफलता का मूल मंत्र
उपराष्ट्रपति का आध्यात्मिक संदेश
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने कहा कि भारत के ऋषियों और तपस्वियों की साधना ने विश्व को ध्यान और सत्य के मार्ग पर अग्रसर किया है। उन्होंने यह बातें गुरुग्राम के ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में आयोजित रजत जयंती कार्यक्रम में कहीं। राधाकृष्णन ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'विकसित भारत 2047' का संकल्प भी इसी आध्यात्मिक शक्ति से प्रेरित है।
धर्म का पालन और मन की शांति
उपराष्ट्रपति ने कहा कि धर्म का पालन 'शांति और विजय' दोनों का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने गीता का संदर्भ देते हुए कहा कि मन को जीतना ही सफलता की पहली कुंजी है। सकारात्मकता और सेवा-भाव का पालन किए बिना मन की शांति संभव नहीं है।
ध्यान की आवश्यकता
उन्होंने ध्यान के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह आत्मा, मन और शरीर को गहन शांति प्रदान करता है। ध्यान से सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं, जो आंतरिक ऊर्जा का संचार करते हैं।
कोविड महामारी के दौरान भारत की भूमिका
उपराष्ट्रपति ने कोविड महामारी के दौरान भारत द्वारा अन्य देशों को निःशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात की, जिसे 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।
ब्रह्माकुमारी संस्थान की सराहना
उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा मानवता के लिए किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। हरियाणा के कैबिनेट मंत्री राव नरबीर ने भी इस कार्यक्रम की सराहना की और इसे समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाला बताया।
आध्यात्मिक विरासत की शक्ति
उपराष्ट्रपति ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और आध्यात्मिक विरासत को हमारी सबसे बड़ी शक्ति बताया, जो विश्व को शांति और मानवता का संदेश देती है।