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एक बहू की साहसिकता ने परिवार को संकट में संभाला

पटना जिले के बाढ़ अनुमंडल में एक बहू ने अपने ससुर का अंतिम संस्कार करने का साहस दिखाया, जब परिवार संकट में था। अमरजीत कुमार की अचानक मृत्यु के बाद, उनकी बहू कोमल ने जिम्मेदारी उठाई, जबकि उनका बेटा लापता हो गया। इस साहसिक कदम ने पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना दिया है। जानें कैसे कोमल ने परिवार की गरिमा को बनाए रखा और समाज के लिए प्रेरणा बनी।
 

संकट के समय में बहू का साहस

पटना जिले के बाढ़ अनुमंडल में एक दिल को छू लेने वाली घटना हुई है जिसने स्थानीय निवासियों को भावुक कर दिया है। आमतौर पर परिवारों में बहुओं और सास-ससुर के बीच तनाव की कहानियाँ सुनने को मिलती हैं, लेकिन यहाँ एक बहू ने अपने साहस और जिम्मेदारी से सबका दिल जीत लिया। यह मामला मोकामा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत अमरजीत कुमार से संबंधित है। अमरजीत, जो बाढ़ प्रखंड के मसूद बिगहा गांव के निवासी थे, कुछ वर्षों से मोकामा पीएचसी में बड़े बाबू के पद पर कार्यरत थे। शुक्रवार की रात उनकी अचानक तबीयत बिगड़ गई और उनका निधन हो गया। यह परिवार के लिए एक और बड़ी त्रासदी थी, क्योंकि कुछ महीने पहले ही उनकी पत्नी कैंसर से गुजर गई थीं।


अब घर में केवल बहू कोमल, एक बेटा और हैदराबाद में रहने वाली एक बेटी ही रह गई थीं। अमरजीत की मृत्यु के बाद, जब अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी, तभी यह खबर आई कि उनका बेटा घर छोड़कर लापता हो गया है। ऐसे कठिन समय में बहू ने साहस दिखाया और थाने जाकर आवेदन दिया कि उन्हें अपने ससुर का अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी जाए। कोमल ने कहा कि यह उनका कर्तव्य है और वह इस जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेंगी। उनके इस कदम ने पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना दिया है। पड़ोसी और रिश्तेदार बेटे की खोज में जुटे हैं, जबकि गांव के लोग कोमल के साहस और निर्णय की सराहना कर रहे हैं।


पुलिस भी इस मामले में बेटे को खोजने की कोशिश कर रही है, लेकिन इस बीच बहू ने जो मिसाल पेश की है, वह समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। जहाँ एक ओर बेटा अपने कर्तव्यों से पीछे हट गया, वहीं बहू ने परिवार की गरिमा और मानवीय रिश्तों की असली कीमत को सबके सामने रखा है।