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एनआईए का बड़ा अभियान: 8 राज्यों में आईएसआईएस से जुड़े मामलों में छापेमारी

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने विजयनगरम आईएसआईएस मामले में 8 राज्यों में छापेमारी की। इस अभियान में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, और अन्य राज्यों में तलाशी ली गई, जिसमें कई संदिग्ध सामग्री बरामद की गई। मुख्य आरोपी आरिफ हुसैन की गिरफ्तारी के बाद यह कार्रवाई की गई। एनआईए की जांच में सोशल मीडिया के दुरुपयोग का भी खुलासा हुआ है, जहां युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का प्रयास किया जा रहा था। जानें इस मामले की कानूनी स्थिति और आगे की कार्रवाई के बारे में।
 

एनआईए की छापेमारी का विवरण

NIA News: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को विजयनगरम आईएसआईएस मामले से संबंधित एक व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया। यह कार्रवाई आईईडी के माध्यम से आतंक फैलाने की साजिश से जुड़ी है, जिसमें सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आईएसआईएस में भर्ती करने का प्रयास किया जा रहा था।


कहां-कहां हुई छापेमारी?

इस अभियान के तहत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और दिल्ली में 16 स्थानों पर तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान एनआईए ने कई डिजिटल उपकरण, दस्तावेज, नकदी और संदिग्ध सामग्री बरामद की, जो आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित हो सकती है।


मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी और जांच

यह तलाशी अभियान 27 अगस्त 2025 को आरिफ हुसैन उर्फ अबू तालिब की गिरफ्तारी के बाद शुरू हुआ, जिसे सऊदी अरब के रियाद से पकड़ा गया। वह इस मामले का मुख्य आरोपी है और नेपाल बॉर्डर के जरिए हथियारों की आपूर्ति की योजना बना रहा था।


जुलाई में भी हुई धरपकड़

जुलाई 2025 में विजयनगरम पुलिस ने सिराज-उर-रहमान को गिरफ्तार किया था, जिसके पास आईईडी बनाने के लिए आवश्यक रसायन मिले थे। पूछताछ में उसने बताया कि वह और उसके साथी भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की योजना बना रहे थे। इसके बाद सैयद समीर को भी गिरफ्तार किया गया, जो इस साजिश का हिस्सा था।


सोशल मीडिया का दुरुपयोग

एनआईए की जांच में यह भी सामने आया कि सिराज और समीर ने इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम और सिग्नल जैसे प्लेटफार्मों का उपयोग करके युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का प्रयास किया। इसके अलावा, उन्हें आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया जा रहा था।


मामले की कानूनी स्थिति

इस मामले की जांच भारतीय दंड संहिता, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 और यूएपी (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत की जा रही है। एनआईए की यह कार्रवाई भारत में आतंकवादी नेटवर्क को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।