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एससीओ शिखर सम्मेलन में अमेरिका के खिलाफ साझा घोषणापत्र का अनुमोदन

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) ने तिनजियान में एक साझा घोषणापत्र को मंजूरी दी, जिसमें अमेरिका पर केंद्रित वैश्विक व्यवस्था से भिन्न दृष्टिकोण प्रकट हुआ है। भारत ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का समर्थन नहीं किया, जिसके पीछे ठोस कारण हैं। इस सम्मेलन में चीन ने नई वैश्विक पहल की घोषणा की, जिसे रूस ने समर्थन दिया। एससीओ का एजेंडा अब विकास और सुरक्षा संबंधी अपेक्षाओं के समन्वय पर भी केंद्रित हो गया है। जानें इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन के बारे में और क्या है इसका वैश्विक प्रभाव।
 

एससीओ की नई दिशा

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) ने एक साझा घोषणापत्र को लगभग सर्व-सम्मति से मंजूरी दी, जिसमें अमेरिका पर केंद्रित वैश्विक व्यवस्था से भिन्न दृष्टिकोण प्रकट हुआ है। एकमात्र विवाद का बिंदु चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का समर्थन था, जिस पर भारत ने असहमति जताई।


तिनजियान में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन ने एक नई दिशा को दर्शाया। इस सम्मेलन में एससीओ ने एक साझा घोषणापत्र को स्वीकृति दी, जिसमें अमेरिका केंद्रित वैश्विक व्यवस्था से अलग दृष्टिकोण सामने आया। बीआरआई पर भारत की असहमति के पीछे ठोस कारण हैं, क्योंकि यह योजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने वाली है, जिस पर भारत का वैध दावा है। इसलिए, घोषणापत्र में उन आठ देशों का उल्लेख किया गया है, जिन्होंने बीआरआई का समर्थन किया, जिसमें चीन भी शामिल है।


इसके अलावा, एससीओ ने अविभाज्य सुरक्षा और विकास के दृष्टिकोण पर सभी दस सदस्य देशों के बीच सहमति बनाई। चीन ने एससीओ से संबंधित कई देशों के नेताओं को भी तिनजियान में आमंत्रित किया, जिन्होंने एससीओ प्लस बैठक में भाग लिया। इस बैठक में, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी नई पहल- ग्लोबल गर्वनेंस इनिशिएटिव- की घोषणा की, जिसे रूस ने समर्थन दिया। इस प्रकार, ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव, ग्लोबल सिक्युरिटी इनिशिएटिव, और ग्लोबल सिविलाइजेशनल इनिशिएटिव के बाद, चीन ने विश्व व्यवस्था के संचालन के लिए अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।


नई पहल में संप्रभुता की समानता, अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन, बहुपक्षीयता, और जन-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की बात की गई है। ये विचार ग्लोबल साउथ के देशों में लोकप्रिय हैं, इसलिए इस नई पहल को इस क्षेत्र में समर्थन मिलने की संभावना है। एससीओ की स्थापना आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई के लिए की गई थी, लेकिन अब इसके एजेंडे में विकास, कनेक्टिविटी, और विभिन्न देशों की सुरक्षा संबंधी अपेक्षाओं का समन्वय भी शामिल हो गया है। तिनजियान में, चीन ने इसे विश्व व्यवस्था के संचालन के ढांचे का हिस्सा बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। यह स्पष्ट है कि पश्चिमी देशों में इसका अर्थ बेहतर ढंग से समझा जा रहा होगा।