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ओडिशा में सुदर्शन पट्टनायक ने बनाया दुनिया का सबसे बड़ा सैंटा क्लॉज

ओडिशा के पुरी में सुदर्शन पट्टनायक ने क्रिसमस 2025 के अवसर पर एक अद्वितीय सैंड आर्ट कृति बनाई है, जिसमें 1.5 टन सेबों का उपयोग किया गया है। यह कृति, जो दुनिया का सबसे बड़ा सैंटा क्लॉज है, ने नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। जानें इस कला के पीछे की प्रेरणा और कैसे यह पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का माध्यम बनी।
 

क्रिसमस 2025 का अद्भुत नजारा


क्रिसमस 2025: ओडिशा के पुरी में क्रिसमस के अवसर पर एक अद्वितीय दृश्य देखने को मिला। प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट और पद्मश्री पुरस्कार विजेता सुदर्शन पट्टनायक ने नीलाद्रि बीच पर एक विशाल कला कृति तैयार कर नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। इस कृति का नाम है 'वर्ल्ड्स बिगेस्ट एपल एंड सैंड इंस्टॉलेशन ऑफ सांता क्लॉज।' इसमें रेत के साथ-साथ लगभग 1.5 टन सेबों का उपयोग किया गया है। यह रिकॉर्ड 24 दिसंबर को आधिकारिक रूप से विश्व रिकॉर्ड बुक ऑफ इंडिया में दर्ज किया गया।


यह विशाल मूर्ति 60 फीट लंबी, 22 फीट ऊंची और 45 फीट चौड़ी है। इसमें सांता क्लॉज को एक ग्लोब पकड़े हुए दर्शाया गया है, जो विश्व शांति और सद्भाव का संदेश देता है। सुदर्शन पट्टनायक ने इस कृति को क्रिसमस की खुशी मनाने और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से बनाया है। सेबों का उपयोग करके उन्होंने कला को स्थायी और नवोन्मेषी बनाया है।


सुदर्शन पट्टनायक का गर्व और टीम का योगदान

दुनिया का सबसे बड़ा सैंटा क्लॉज


पट्टनायक ने कहा कि यह उनके और उनकी पूरी टीम के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने इसे सभी के लिए एक क्रिसमस उपहार बताया और कहा, "हमने अपने छात्रों के साथ मिलकर इसे बनाया है। सांता के हाथ में ग्लोब विश्व शांति का प्रतीक है।" इस प्रोजेक्ट में उनके सैंड आर्ट इंस्टीट्यूट के 30 छात्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पूरी कृति बनाने में टीम ने कड़ी मेहनत की और यह पुरी सैंड आर्ट फेस्टिवल का हिस्सा भी है।




सामाजिक संदेश और पर्यटन को बढ़ावा

सुदर्शन पट्टनायक अपनी सैंड आर्ट के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। वे अक्सर सामाजिक संदेशों वाली कृतियां बनाते हैं। पहले भी उन्होंने कई विश्व रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। इस बार सेबों का उपयोग करके उन्होंने कुछ अनोखा किया है, जो पर्यटन को भी बढ़ावा दे रहा है। पुरी बीच पर हजारों लोग इस कृति को देखने आए और तस्वीरें खिंचवाईं।