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कतर की कूटनीति से थमा ईरान-इजराइल युद्ध: क्या है आगे की राह?

मध्य पूर्व में 12 दिनों से चल रहे ईरान-इजराइल युद्ध को कतर ने थामने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर सीजफायर की घोषणा की गई। ईरान ने इजराइल से हमले रोकने की शर्त रखी है। कतर के अमीर और प्रधानमंत्री ने इस प्रक्रिया की निगरानी की। संघर्ष की जड़ें ईरान के परमाणु कार्यक्रम में हैं, और विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य में स्थिति कैसे विकसित होगी, यह ईरान की अगली रणनीति पर निर्भर करेगा।
 

कतर की महत्वपूर्ण भूमिका

मध्य पूर्व में 12 दिनों से जारी ईरान-इजराइल संघर्ष को समाप्त करने में कतर ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक अमेरिकी पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, कतर की सिफारिश पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम की घोषणा की। यह निर्णय तब लिया गया जब ईरान ने कतर पर मिसाइलें दागी और दोहा के अमेरिकी एयरबेस को निशाना बनाया।


अमेरिका से संपर्क

ईरान के कतर पर मिसाइल हमले के तुरंत बाद, कतर के अमीर और प्रधानमंत्री ने अमेरिका से संपर्क किया। उन्होंने ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ लगातार संवाद बनाए रखा। ट्रंप ने अपने विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से तुरंत बात की और उन्हें ईरान के विदेश मंत्री से संपर्क करने का निर्देश दिया।


ईरान की शर्तें

जब विटकॉफ ने ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची से बात की, तो ईरान ने एक स्पष्ट शर्त रखी कि इजराइल को पहले हमले रोकने होंगे। अराघची ने कहा कि युद्ध की शुरुआत इजराइल ने की थी, इसलिए पहला कदम भी उसी को उठाना होगा। विटकॉफ ने ईरान को आश्वासन दिया कि अमेरिका इजराइल को अगले 24 घंटे तक हमले से रोकेगा।


कतर की सक्रियता

रिपोर्ट में कहा गया है कि सीजफायर की घोषणा तक कतर की भूमिका सक्रिय रही। कतर के अमीर और प्रधानमंत्री इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहे थे और अमेरिकी नेतृत्व के साथ हर पल की जानकारी साझा कर रहे थे। इस दौरान कतर में डर का माहौल बना रहा, क्योंकि आगे और मिसाइल हमले की आशंका बनी हुई थी।


संघर्ष की जड़ें

इस संघर्ष की जड़ें ईरान के परमाणु कार्यक्रम में निहित हैं। अमेरिका और इजराइल ने आरोप लगाया कि ईरान यूरेनियम संवर्धन में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी के तहत अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बंकर बस्टर बम गिराए। हालांकि, ईरान ने इन ठिकानों में यूरेनियम होने से इनकार किया और एक ब्रिटिश अखबार ने रिपोर्ट दी कि हमले से पहले ही 400 किलो यूरेनियम को वहां से हटा दिया गया था।


क्या यह स्थायी विराम है?

इजराइल का कहना है कि ईरान अगले एक-दो साल तक परमाणु हथियार नहीं बना पाएगा। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान की अगली रणनीति यह तय करेगी कि यह युद्धविराम स्थायी रहेगा या फिर से टकराव होगा। ट्रंप की सीजफायर पहल ने फिलहाल तनाव को कम किया है, लेकिन भविष्य की स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।