कनाडा में खालिस्तान समर्थक रैली के दौरान पत्रकार पर हमला: मोचा बेज़िरगन का बयान
वैंकूवर में पत्रकार पर हमला
कनाडा के स्वतंत्र पत्रकार मोचा बेज़िरगन ने रविवार को वैंकूवर में खालिस्तान समर्थक रैली की रिपोर्टिंग करते समय हिंसा और धमकियों का सामना करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि खालिस्तान से जुड़ी रिपोर्टिंग के कारण उनकी संपादकीय स्वतंत्रता को निशाना बनाया गया।
रैली के दौरान की घटना
जब बेज़िरगन रैली की रिपोर्टिंग कर रहे थे, तब एक समूह ने उन्हें घेर लिया और उनके साथ गाली-गलौज तथा धक्का-मुक्की की। उन्होंने कहा, “इन लोगों ने गुंडों की तरह व्यवहार किया। मुझे धमकाया गया और मेरा फोन छीन लिया गया।”
सोशल मीडिया पर साझा किया अनुभव
बेज़िरगन ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अपने अनुभव को साझा करते हुए लिखा, “यह घटना दो घंटे पहले हुई है और मैं अभी भी सदमे में हूं। कई खालिस्तान समर्थकों ने मुझे चारों ओर से घेर लिया, मुझे डराया-धमकाया और शारीरिक रूप से मुझ पर हमला किया।”
हमलावर का पूर्ववृत्त
पत्रकार ने यह भी आरोप लगाया कि जिस व्यक्ति ने उन पर हमला किया, वह पहले से ही उन्हें ऑनलाइन परेशान कर रहा था और कई बार अमानवीय भाषा का प्रयोग कर चुका है। बेज़िरगन ने कहा, “वह व्यक्ति मुझसे बार-बार करीब आ रहा था और धमकी दे रहा था कि अगर मैंने उसे छुआ तो वह हिंसा करेगा।”
पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर खतरा
बेज़िरगन ने बताया कि वह कई वर्षों से कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड में खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मेरा उद्देश्य केवल तथ्यों को सामने लाना और निष्पक्ष रिपोर्टिंग करना है। लेकिन कुछ समूह मेरी स्वतंत्र पत्रकारिता से नाराज़ रहते हैं और मुझे प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।”
वीडियो में दिखाया विरोध
बेज़िरगन ने हमले का एक वीडियो साझा किया जिसमें एक व्यक्ति उन्हें लगातार परेशान करता हुआ दिखाई दे रहा है। उन्होंने लिखा, “ऐसी धमकाने वाली रणनीतियाँ मेरी संपादकीय स्वतंत्रता को प्रभावित नहीं कर सकतीं। मैं इस पेशे में सच्चाई दिखाने के लिए हूं और पीछे नहीं हटूंगा।”
पुलिस में की गई शिकायत
बेज़िरगन ने कहा कि उन्होंने इस हमलावर के खिलाफ पहले भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी और अब इस ताज़ा घटना के बाद फिर से रिपोर्ट की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार कानूनी कार्रवाई अवश्य होगी।
भारत-कनाडा संबंधों में तनाव
भारत सरकार ने पहले भी कनाडा पर खालिस्तानी गतिविधियों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। नई दिल्ली का कहना है कि कनाडा की निष्क्रियता से कट्टरपंथ को बढ़ावा मिल रहा है, जबकि कनाडा सरकार भारत पर निष्पक्ष रिपोर्टिंग और विरोध प्रदर्शनों को दबाने का आरोप लगाती रही है।