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कन्नड़ सिनेमा के दिग्गज अभिनेता हरीश राय का निधन, फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर

कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के प्रसिद्ध अभिनेता हरीश राय का निधन हो गया है। 63 वर्षीय हरीश लंबे समय से गले के कैंसर से जूझ रहे थे। उनके निधन ने सैंडलवुड में शोक की लहर पैदा कर दी है। हरीश ने 30 वर्षों में 60 से अधिक फिल्मों में काम किया और ‘केजीएफ’ जैसी ब्लॉकबस्टर में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
 

अभिनेता हरीश राय का निधन

मुंबई। कन्नड़ फिल्म उद्योग में तीन दशकों से अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने वाले अभिनेता हरीश राय अब हमारे बीच नहीं रहे। 63 वर्षीय हरीश लंबे समय से गले के कैंसर से पीड़ित थे और उन्होंने गुरुवार को इलाज के दौरान अंतिम सांस ली।


फिल्मी करियर की शुरुआत

हरीश राय का करियर कन्नड़ सिनेमा के स्वर्ण युग से शुरू हुआ। 1990 के दशक में आई सुपरहिट फिल्म ‘ओम’ में उन्होंने ‘डॉन रॉय’ का किरदार निभाया, जिसने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने तमिल और कन्नड़ दोनों भाषाओं में कई फिल्मों में विभिन्न भूमिकाएं निभाईं। चाहे वह खलनायक की भूमिका हो या पिता-पुत्र के इमोशनल सीन, हरीश ने हर बार दर्शकों को प्रभावित किया।


आर्थिक तंगी और बीमारी का सामना

मुश्किलों से भरा आखिरी दौर

पिछले कुछ वर्षों से हरीश गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे। कैंसर के कारण उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती गई। महंगे इलाज के लिए उन्हें कई इंजेक्शन की आवश्यकता थी, जिनकी कीमत लाखों रुपये थी। आर्थिक तंगी के बावजूद, शिवराजकुमार और ध्रुव सरजा जैसे सितारों ने उनकी मदद की। हरीश हमेशा कहते थे कि 'मैं हार नहीं मानूंगा', लेकिन दुर्भाग्यवश, उनकी हालत में सुधार नहीं आया और उन्होंने बेंगलुरु के किदवई अस्पताल में अंतिम सांस ली।


परिवार और प्रशंसकों का शोक

हरीश राय अपने पीछे पत्नी और एक बेटे को छोड़ गए हैं। उनके निधन की खबर ने सैंडलवुड को हिला कर रख दिया। सोशल मीडिया पर प्रशंसकों और फिल्मी हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। फैंस को यकीन नहीं हो रहा कि अब हरीश इस दुनिया में नहीं रहे।


‘केजीएफ’ से मिली नई पहचान

नई पहचान

लंबे संघर्ष के बाद, हरीश राय को ‘केजीएफ: चैप्टर 1’ और ‘केजीएफ: चैप्टर 2’ के जरिए फिर से लोकप्रियता मिली। इस ब्लॉकबस्टर में उन्होंने ‘चाचा’ का किरदार निभाया, जो रॉकी भाई के बेहद करीब था। यह भूमिका उनके करियर की दूसरी पारी साबित हुई और दर्शकों ने उन्हें खुले दिल से अपनाया।


अभिनय की विरासत

अभिनय ही जीवन था

करीब 30 वर्षों में हरीश ने 60 से अधिक फिल्मों में काम किया। ‘राज बहादूर’, ‘भूगत’, ‘नन्ना कनसिना हुवे’, ‘संजू वेड्स गीता’, ‘स्वयंवर’ जैसी फिल्मों में उनके किरदारों को सराहा गया। उनके निभाए किरदार अब सिनेमा के इतिहास में अमर हो चुके हैं।