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करगिल विजय दिवस 2025: युद्ध के अनसुने किस्से और महत्वपूर्ण वार्ता

करगिल विजय दिवस 2025 के अवसर पर, इस लेख में हम करगिल युद्ध के दौरान हुई महत्वपूर्ण घटनाओं और वार्ताओं पर चर्चा करेंगे। जानें कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से बातचीत की और युद्ध के दौरान हुई अनकही कहानियों के बारे में। यह लेख आपको उस समय की जटिलताओं और निर्णयों की गहराई में ले जाएगा।
 

करगिल विजय दिवस 2025

करगिल विजय दिवस 2025: करगिल युद्ध से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जो आमतौर पर लोगों को नहीं पता होते। इनमें से एक घटना जुलाई 1999 की है, जब पाकिस्तानी सेना ने दबाव में आकर पीछे हटना शुरू किया। उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 4 जुलाई को अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ को फोन किया और भारतीय सैन्य अभियान के महानिदेशक (DGMO) को नियंत्रण रेखा (LoC) से पीछे हटने के लिए बातचीत करने के लिए भेजा।


महत्वपूर्ण बैठक

वाजपेयी के निर्देश पर, तत्कालीन DGMO लेफ्टिनेंट जनरल निर्मल चंद्र विज (सेवानिवृत्त) और उप DGMO ब्रिगेडियर मोहन भंडारी (सेवानिवृत्त) ने 11 जुलाई को अटारी में पाकिस्तानी DGMO लेफ्टिनेंट जनरल तौकीर जिया (सेवानिवृत्त) से मुलाकात की। भंडारी ने इस बैठक को याद करते हुए बताया कि उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि जिया अकेले आए थे, जो कि DGMO बैठकों के लिए असामान्य था।


जिया का अकेले आना

जिया अकेले खड़े थे...

भंडारी ने कहा, “हम 11 जुलाई को सुबह 6:30 बजे दिल्ली से अमृतसर के लिए रवाना हुए और वहां से हेलिकॉप्टर द्वारा अटारी पहुंचे। जब मैं पाकिस्तानी सीमा का जायज़ा लेने गया, तो मैंने देखा कि जिया अकेले खड़े थे, धूम्रपान कर रहे थे।”


बैठक का विवरण

बैठक तीन घंटे तक चली

बैठक के दौरान, भारतीय DGMO ने उन्हें नियंत्रण रेखा से पीछे हटने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। जिया और उनके सहयोगियों ने चुपचाप नोट्स लिए। जब भारतीय DGMO ने उनसे कोई सवाल पूछा, तो जिया ने केवल 'कोई संदेह नहीं' कहा।


युद्ध का अंत

16 या 17 जुलाई को खत्म हो जाती जंग

भंडारी ने कहा, “पाकिस्तान ने हमारी शर्तों का उल्लंघन किया और हमनें 15 से 24 जुलाई तक उनके ठिकानों पर भारी गोलाबारी की। अंततः, संघर्ष 25 जुलाई को समाप्त हुआ। यदि उन्होंने पहले ही शर्तें मान ली होतीं, तो यह युद्ध 16 या 17 जुलाई तक खत्म हो सकता था।”