करनाल में वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर पर पहुंचा
करनाल की वायु गुणवत्ता में गिरावट
करनाल: शनिवार को शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 229 तक पहुंच गया, जिससे सांस संबंधी रोगों, बुजुर्गों और बच्चों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। लोगों को आंखों में जलन की समस्या का सामना करना पड़ा। यह प्रदूषण स्तर पानीपत, यमुनानगर और कैथल से भी अधिक है, जहां पानीपत का AQI 224, यमुनानगर का 227 और कैथल का 140 दर्ज किया गया।
खतरनाक मौसम की स्थिति
करनाल का मौसम खतरनाक
हवा में पीएम 2.5 का स्तर 227 और पीएम 10 का स्तर 137 दर्ज किया गया, जो औसत से काफी अधिक है। शुक्रवार को AQI 231 था। हवा में धूल और धुएं के कणों की अधिकता से प्रदूषण बढ़ रहा है। जगह-जगह कूड़ा जलाने और पराली जलाने के कारण धुएं के कणों की संख्या बढ़ रही है। निर्माण कार्यों के चलते भी धूल के कणों में वृद्धि हो रही है। ग्रेड-3 प्रतिबंध लागू होने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
रात में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है
रात में पीएम 2.5 कण का स्तर बढ़ा
रात 9 बजे से सुबह 9 बजे तक हवा में पीएम 2.5 कणों का स्तर अधिकतम रहता है। दिन में धूप के कारण शाम को इनका स्तर न्यूनतम 86 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पहुंच जाता है, जबकि रात 9 से सुबह 9 बजे तक ठंड के कारण यह अधिकतम 321 तक पहुंच जाता है। 24 घंटे में इनका औसत 227 रहा। स्वास्थ्य के लिए हवा में इनकी मात्रा 35 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। ये कण बहुत छोटे होते हैं, जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है, जो मानव बाल के व्यास का लगभग 30वां हिस्सा है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
सांस संबंधी रोगों का कारण
प्रदूषण फैलाने वालों और ग्रेडेड रिस्पांस सिस्टम के नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सभी विभागों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
पीएम 10 के कणों का अधिकतम स्तर 187 और न्यूनतम 80 दर्ज किया गया, जबकि 24 घंटे में इसका औसत केवल 137 रहा। हवा में इनकी मात्रा 50 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक होनी चाहिए। पीएम 10 धूल, पराग, फफूंद और वाहनों के उत्सर्जन से उत्पन्न होते हैं। ये कण सांस के जरिए फेफड़ों में जा सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं, जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस।