कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या का संकट: 981 मामलों की रिपोर्ट
किसानों की आत्महत्या की बढ़ती संख्या
बेंगलुरु- कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2024 से जुलाई 2025 के बीच राज्य में 981 किसानों ने आत्महत्या की। यह आंकड़ा एक साल और चार महीने की अवधि में किसानों की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
यह संकट राज्य में कृषि के क्षेत्र में चल रही समस्याओं और अपर्याप्त सहायता की गंभीरता को उजागर करता है। हवेरी जिला इस मामले में सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 128 किसानों ने आत्महत्या की। इसके बाद मैसूरु (73), धारवाड़ (72), और बेलगावी (71) का स्थान है। हालांकि, बेंगलुरु शहरी, बेंगलुरु ग्रामीण, उडुपी, और कोलार जिलों में कोई आत्महत्या की घटना नहीं हुई।
अन्य प्रभावित जिलों में हासन (47), बीदर (45), शिवमोग्गा (45), गदग (44), यदगिर (43), दावणगेरे (42), चिक्कमगलूरु (39), मांड्या (39), बागलकोट (35), चित्रदुर्गा (34), विजयपुरा (27), रायचूर (25), कोप्पल (25), तुमकुरु (17), उत्तर कन्नड़ (14), दक्षिण कन्नड़ (1), कोडगु (1), बल्लारी (1), और चामराजनगर (1) शामिल हैं।
सरकार ने 807 प्रभावित परिवारों को मुआवजा प्रदान किया है, लेकिन 18 मामलों में राहत अभी भी लंबित है। किसानों की आत्महत्या के पीछे कई कारण हैं, जैसे कर्ज का बोझ, फसल की विफलता, कम आय, और बाजार तक पहुंच की कमी। कर्नाटक में सूखा, अनियमित बारिश, और महंगे कृषि निवेश ने किसानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। हालांकि, सरकार ने समय-समय पर कर्ज माफी, बीज और उर्वरक सब्सिडी की पेशकश की है। फिर भी, आत्महत्याओं की संख्या में कमी नहीं आ रही है। किसान संगठनों और विपक्षी दलों ने सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है, जिसमें उचित फसल मूल्य, ऋण राहत, और बेहतर सिंचाई सुविधाएं शामिल हैं।