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कर्नाटक में जाति गणना विवाद: कांग्रेस का नया कदम

कर्नाटक में जाति गणना की रिपोर्ट पर विवाद उत्पन्न हो गया है, जिसमें लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय असंतुष्ट हैं। कांग्रेस आलाकमान ने इस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालने का निर्देश दिया है। अब सवाल यह है कि क्या कर्नाटक की कांग्रेस सरकार नए सिरे से जाति गणना कराएगी या अगले साल होने वाली जनगणना का इंतजार करेगी। जानें इस स्थिति में कांग्रेस का अगला कदम क्या होगा।
 

जाति गणना की रिपोर्ट और विवाद

कर्नाटक में सिद्धारमैया की पहली सरकार ने एक दशक पहले जाति गणना कराई थी, जिसकी रिपोर्ट हाल ही में राज्य सरकार को सौंपी गई। जैसे ही आंकड़े सामने आए, विवाद शुरू हो गया। लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय दोनों ही इन आंकड़ों से असंतुष्ट थे, जबकि भाजपा ने मुस्लिम आबादी के आंकड़ों को लेकर सरकार पर आरोप लगाए। यह रिपोर्ट 10 अप्रैल को प्रस्तुत की गई थी, और इसके बाद 17 अप्रैल को कैबिनेट की बैठक निर्धारित थी, जो अब तक नहीं हुई। रिपोर्ट में लिंगायत आबादी 10% और वोक्कालिगा 11% बताई गई थी, और दोनों को क्रमशः 7% और 8% आरक्षण देने की सिफारिश की गई थी। हालांकि, दोनों समुदायों ने इन आंकड़ों को खारिज कर दिया। मुस्लिम आबादी 12.5% बताई गई, जिसके बाद भाजपा ने कहा कि इसे अल्पसंख्यक दर्जा नहीं मिलना चाहिए।


कांग्रेस का नया निर्देश

कांग्रेस आलाकमान ने अब जाति गणना की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालने का निर्देश दिया है। बेंगलुरू में हुई भगदड़ के मुद्दे पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को दिल्ली बुलाया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जाति गणना के आंकड़े अब पुराने हो चुके हैं और इसमें पिछले 10 वर्षों में काफी बदलाव आया है। इसलिए, इस पर आगे विचार करने की आवश्यकता नहीं है।


कांग्रेस का भविष्य का कदम

अब सवाल यह है कि कांग्रेस आगे क्या कदम उठाएगी? क्या राज्य सरकार नए सिरे से जाति गणना कराएगी या अगले साल होने वाली जनगणना का इंतजार करेगी, जिसमें जातियों की भी गिनती होगी? यह पहली बार होगा जब आजाद भारत में जनगणना के साथ जातियों की गिनती की जाएगी, और केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। ध्यान देने योग्य है कि कांग्रेस की तेलंगाना सरकार ने पहले ही जाति गणना कराई है, और राहुल गांधी इसे पूरे देश में एक मॉडल के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।


कर्नाटक की संभावनाएँ

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कर्नाटक की कांग्रेस सरकार तेलंगाना मॉडल पर जाति गणना कराएगी और उसके आधार पर आरक्षण की नई व्यवस्था बनाएगी। यदि केंद्र सरकार अगले साल जनगणना कराती है, जिसमें जातियों की गिनती भी होगी, तो राज्य सरकार को अलग से जाति गणना कराने की आवश्यकता क्यों होगी? यह स्थिति कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।