कर्नाटक में जातिगत जनगणना 2025 का ऐलान, मुख्यमंत्री ने दी जानकारी
कर्नाटक में जातिगत जनगणना का ऐलान
Karnataka Caste Census 2025: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य में नई जातिगत जनगणना कराने की घोषणा की है। उन्होंने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 2015 में हुई जाति जनगणना को सरकार ने मान्यता नहीं दी थी, इसलिए अब यह सर्वेक्षण आवश्यक हो गया है। नया सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण 22 सितंबर से 7 अक्टूबर तक आयोजित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में विभिन्न धर्म और जातियां हैं और उनमें असमानता भी विद्यमान है।
सर्वेक्षण का उद्देश्य
संविधान का मुख्य उद्देश्य सभी को समानता प्रदान करना और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि यह सर्वेक्षण असमानताओं को समाप्त करने और लोकतंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की देखरेख में होने वाले इस सर्वे में राज्य की लगभग 7 करोड़ जनसंख्या और 2 करोड़ परिवार शामिल होंगे। प्रत्येक घर को एक अद्वितीय हाउसहोल्ड आईडी स्टिकर दिया जाएगा, जिसमें से अब तक 1.55 करोड़ स्टिकर लगाए जा चुके हैं। सर्वेक्षण के लिए 60 प्रश्नों वाला एक फॉर्म तैयार किया गया है, जिसमें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षिक स्थिति की जानकारी ली जाएगी।
शिक्षकों की भूमिका
सर्वेक्षण को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए 1.85 लाख सरकारी शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा। यह कार्य दशहरा की छुट्टियों के दौरान किया जाएगा। प्रत्येक शिक्षक को 20,000 रुपये तक का मानदेय मिलेगा, और इसके लिए 325 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। कुल मिलाकर, सरकार इस सर्वेक्षण पर 420 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जो 2015 की जाति जनगणना पर खर्च हुए 165 करोड़ रुपये से कहीं अधिक है।
तकनीकी उपायों का उपयोग
इस बार सर्वेक्षण में तकनीकी उपायों का भी उपयोग किया जाएगा ताकि यह अधिक सटीक और पारदर्शी हो सके। प्रत्येक घर को बिजली मीटर नंबर और राशन कार्ड से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, आधार नंबर को मोबाइल से लिंक किया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति अपनी जाति की जानकारी सीधे एन्यूमरेटर को नहीं देना चाहता, तो वह हेल्पलाइन नंबर (8050770004) या ऑनलाइन माध्यम से भी जानकारी प्रदान कर सकता है।
सर्वेक्षण में सहयोग की अपील
सिद्धारमैया ने जनता से सर्वेक्षण में सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा, 'मैं राज्य के हर नागरिक से निवेदन करता हूं कि इस सर्वेक्षण में भाग लें। सभी प्रश्नों का ईमानदारी से उत्तर दें। आपकी तैयारी में मदद के लिए आशा कार्यकर्ता आपके घर आकर आवेदन पत्र उपलब्ध कराएंगे।'
अध्यक्ष को मिली जिम्मेदारी
आयोग के अध्यक्ष मधुसूदन नाइक को यह जिम्मेदारी दी गई है कि सर्वेक्षण को वैज्ञानिक और समावेशी तरीके से संपन्न किया जाए। अंतिम रिपोर्ट दिसंबर 2025 तक प्रस्तुत की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के दशकों बाद भी असमानता बनी हुई है और इसे समाप्त करने के लिए यह सर्वेक्षण महत्वपूर्ण साबित होगा।