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कर्नाटक में राजनीतिक बदलाव: भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता और कांग्रेस की गिरती स्थिति

कर्नाटक में राजनीतिक परिदृश्य में तेजी से बदलाव आ रहा है, जहां भाजपा की लोकप्रियता बढ़ रही है और कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो रही है। हाल के सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मतदाता कांग्रेस से दूर हो रहे हैं, खासकर युवा और कामकाजी वर्ग। प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता भी कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। इस लेख में हम कर्नाटक की राजनीतिक स्थिति, मतदाता के रुझान और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।
 

राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव

2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद से, राज्य में राजनीतिक स्थिति में तेजी से बदलाव आया है। एक समय कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने वाले मतदाता अब उसे पूरी तरह से नकार रहे हैं। पीपुल्स पल्स कोडमो सर्वे ने जनसंख्या, समुदायों और क्षेत्रों में बढ़ते असंतोष को उजागर किया है। यह सर्वे कांग्रेस सरकार की विफलताओं और भाजपा के प्रति बढ़ते समर्थन को दर्शाता है। यदि आज चुनाव होते हैं, तो भाजपा की सीटों की संख्या दोगुनी हो सकती है। यह बदलाव कांग्रेस के दो साल के वादों के टूटने, बढ़ती महंगाई और शासन की विफलताओं का परिणाम है। कन्नड़ लोगों का धैर्य अब समाप्त हो चुका है।


भाजपा का बढ़ता समर्थन

भाजपा अब 2023 के वोट शेयर को पलटने के लिए तैयार है, और इसके पक्ष में एक मजबूत झुकाव है। कांग्रेस के दिखावटी वादों से धोखा खाए मतदाता अब भाजपा की ओर देख रहे हैं। गारंटियों के अधूरे या चुनिंदा कार्यान्वयन के कारण लोग विकास और स्थिरता के लिए भाजपा को प्राथमिकता दे रहे हैं।


कांग्रेस की विफलताएँ

कांग्रेस की 'गारंटी' योजनाएं जैसे गृह लक्ष्मी और युवा निधि केवल चुनावी दिखावा साबित हुई हैं। इन योजनाओं का कार्यान्वयन विफल रहा है और राज्य की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है। महंगाई ने आम जनता के बजट को प्रभावित किया है, जिससे कामकाजी मध्यम वर्ग और युवा वर्ग में निराशा बढ़ी है।


मतदाता कांग्रेस से दूर

सर्वेक्षण के अनुसार, 52% पुरुष और 49% महिलाएं कांग्रेस से मुंह मोड़ रही हैं। पहली बार मतदान करने वाले युवा मतदाता कांग्रेस से निराश हैं। 18-25 वर्ष के 56% युवा अब भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस की खराब अर्थव्यवस्था का खामियाजा कामकाजी वर्ग को भुगतना पड़ रहा है।


प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता

कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोगों के नेता के रूप में बहुत पसंद किया जाता है। भाजपा समर्थकों में से 73.9% लोग मोदी को पसंद करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के अपने मतदाता आधार में भी, 37.8% लोग मोदी को पसंद करते हैं।


कांग्रेस की वोट बैंक राजनीति

कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति अब उल्टी पड़ रही है। हिंदू और ईसाई दोनों ही भाजपा की ओर आकर्षित हो रहे हैं। आत्मनिर्भर हिंदू मध्यम वर्ग और कुछ ईसाई समुदाय के लोग अब भाजपा को प्रगति का एकमात्र रास्ता मानते हैं।


किसानों और युवाओं का भाजपा में विश्वास

भाजपा स्नातकोत्तरों के बीच भी हावी है, जिसने 60.4% वोट प्राप्त किए हैं। किसानों के बीच भाजपा का समर्थन कांग्रेस से 16.5% अधिक है। हालांकि, किसानों में नाराजगी बढ़ रही है, क्योंकि कांग्रेस ने कई किसान-समर्थक पहलों को ध्वस्त कर दिया है।


जाति जनगणना पर प्रतिक्रिया

कर्नाटक में जाति आधारित सामाजिक इंजीनियरिंग की कांग्रेस की हालिया कोशिशों पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है। 75% से अधिक कन्नड़ लोगों ने इसके निष्कर्षों को खारिज कर दिया है। दलित, ओबीसी और एसटी समुदाय अब कांग्रेस से दूर होते दिख रहे हैं।


महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की स्थिति

महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण का वादा किया गया था, लेकिन उन्हें महंगाई और योजनाओं में देरी का सामना करना पड़ा है। बुजुर्ग पेंशनभोगी ठगे हुए महसूस कर रहे हैं। कांग्रेस के शासन ने उनके जीवन को वित्तीय दुःस्वप्न में बदल दिया है।


भविष्य की संभावनाएँ

कांग्रेस ने न केवल अपनी जमीन खोई है, बल्कि उसने अपना भरोसा भी खो दिया है। कर्नाटक का यह संदेश केवल एक मध्यावधि प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि यह 2028 के विधानसभा चुनाव का पूर्वावलोकन है।