कश्मीर के छात्रों का ईरान में मेडिकल शिक्षा का बढ़ता रुझान
कश्मीर-ईरान संबंध: एक नई दृष्टि
Kashmir Iran Connection: ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारत सरकार ने 'ऑपरेशन सिंधु' के तहत वहां फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित स्वदेश लौटाया। इस घटना के बाद एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है—क्यों इतनी बड़ी संख्या में भारतीय, विशेषकर कश्मीरी छात्र, ईरान जैसे देशों में मेडिकल शिक्षा के लिए जाते हैं?
भारत में मेडिकल सीटों की कमी
भारत में MBBS की सीटों की संख्या 2014 में 51,000 से बढ़कर 2024 में 1.18 लाख हो गई है, लेकिन NEET जैसी परीक्षाओं में 22 लाख से अधिक छात्र भाग लेते हैं। सरकारी कॉलेजों में सीटों की संख्या सीमित है, और प्राइवेट कॉलेजों की फीस आम छात्रों के लिए बहुत अधिक होती है। इसीलिए, कई छात्र ईरान, रूस, यूक्रेन, और फिलीपींस जैसे देशों का रुख करते हैं, जहां मेडिकल शिक्षा की लागत भारत की तुलना में काफी कम है।
कश्मीरियों का ईरान से सांस्कृतिक संबंध
कश्मीरियों का ईरान से सांस्कृतिक और धार्मिक जुड़ाव
ईरान कश्मीरी छात्रों के लिए विशेष महत्व रखता है। जेएनयू के फारसी भाषा के प्रोफेसर सैयद अख्तर हुसैन के अनुसार, 'कश्मीर को पहले 'ईरान-ए-सगीर' कहा जाता था। दोनों की संस्कृति और भूगोल में काफी समानताएं हैं। इसके अलावा, 13वीं शताब्दी में ईरान से सूफी संत मीर सैयद अली हमदानी कश्मीर आए थे, जिन्होंने कश्मीर की शिल्पकला को समृद्ध किया।
धार्मिक समानता का प्रभाव
धार्मिक समानता बनी बड़ा कारण
ईरान एक शिया बहुल देश है, और कश्मीर में भी शिया आबादी अच्छी-खासी है। इस कारण से, ईरान कश्मीरी छात्रों को विशेष रियायतें प्रदान करता है। प्रो. हुसैन का कहना है, 'शिया होने के नाते कश्मीरी छात्रों को दाखिला लेने में आसानी होती है और फीस भी कम होती है।'
विदेशी डिग्री के साथ चुनौतियाँ
विदेशी डिग्री के साथ आने वाली चुनौतियां
पूर्व NBE निदेशक डॉ. पवनिंद्र लाल बताते हैं, “कई विदेशी कॉलेज ऐसे पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं जो केवल विदेशी छात्रों को डिग्री देने के लिए होते हैं। इन डिग्रियों से वहां डॉक्टर बनने का अधिकार नहीं मिलता।” भारत में अब यह नियम है कि वही छात्र यहां प्रैक्टिस कर सकते हैं जो उस देश में भी डॉक्टर बनने के योग्य हों।
भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए आवश्यक FMGE परीक्षा पास करना आसान नहीं है। 2024 में इस परीक्षा का पास प्रतिशत केवल 25.8% था। ईरान की ओर छात्रों की बढ़ती रुचि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारणों से है, लेकिन वहां से डिग्री प्राप्त करने के बाद भारत में मेडिकल करियर बनाना आसान नहीं होता।