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कांग्रेस ने मनरेगा को बचाने के लिए शुरू किया आंदोलन, केंद्र पर लगाए गंभीर आरोप

कांग्रेस ने मनरेगा योजना को कमजोर करने के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। पार्टी के नेताओं ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि यह योजना करोड़ों गरीबों के अधिकारों की रक्षा करती है। जानें इस बैठक में क्या निर्णय लिए गए और कांग्रेस का क्या कहना है।
 

कांग्रेस कार्य समिति की महत्वपूर्ण बैठक


नई दिल्ली: शनिवार को कोटला मार्ग पर स्थित नए कांग्रेस मुख्यालय 'इंदिरा भवन' में कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सांसद राहुल गांधी ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता की। इस दौरान, कांग्रेस नेतृत्व ने केंद्र सरकार पर मनरेगा (MGNREGA) योजना को कमजोर करने का आरोप लगाया और इसके विरोध में 5 जनवरी 2026 से देशभर में 'मनरेगा बचाओ आंदोलन' शुरू करने की घोषणा की।


कांग्रेस का दृढ़ संकल्प


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पार्टी ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि मनरेगा को कमजोर करने की किसी भी कोशिश का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि CWC की बैठक में सभी नेताओं ने संकल्प लिया है कि इस कानून की रक्षा के लिए सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष किया जाएगा। उनके अनुसार, यह लड़ाई केवल एक योजना की नहीं, बल्कि करोड़ों गरीबों के अधिकारों की रक्षा की है।


सरकार पर गंभीर आरोप

'सरकार ने सब छीन लिया'


कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि 'मनरेगा' कार्यक्रम को मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने देश की जनता को अधिकार के रूप में दिया, जिससे गरीब जनता को 100 दिन रोजगार की गारंटी मिलती थी। लेकिन अब सरकार ने सब कुछ छीन लिया है।



राहुल गांधी ने कहा कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं थी, बल्कि यह काम के अधिकार पर आधारित एक विचार था। यह योजना करोड़ों लोगों को न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करती थी और पंचायती राज में राजनीतिक हिस्सेदारी का साधन थी। केंद्र सरकार अधिकारों के विचार और संघीय ढांचे पर हमला कर रही है।


मनरेगा के खात्मे का उद्देश्य

'मनरेगा के खात्मे का एक ही मकसद है'


राहुल गांधी ने कहा कि मनरेगा के खात्मे का एक ही मकसद है - गरीबों के रोजगार के अधिकार को मिटाना। यह निर्णय सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से लिया गया है और इससे देश की गरीब जनता को नुकसान होगा। रोजगार खत्म होंगे, ग्रामीण अर्थव्यवस्था कमजोर होगी, और जब गांव कमजोर होंगे, तो देश भी कमजोर होगा।