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काठमांडू में युवा सफाई अभियान: बदलाव की ओर एक कदम

नेपाल में हालिया विरोध प्रदर्शनों के बाद, 'जेन जेड' युवाओं ने काठमांडू की सड़कों पर सफाई अभियान शुरू किया। यह कदम उनके असली उद्देश्य को दर्शाता है, जो देश को सुधारना है। इस अभियान ने न केवल शहर की स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास किया, बल्कि यह भी दिखाया कि युवा पीढ़ी बदलाव की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है। जानें इस अभियान के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव के बारे में।
 

काठमांडू सफाई अभियान: एक नई शुरुआत

काठमांडू सफाई अभियान: नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बाद स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। 10 सितंबर, बुधवार को, 'जेन जेड' के युवाओं ने काठमांडू की जली-टूटी सड़कों पर सफाई अभियान शुरू किया। कई वीडियो और तस्वीरों में युवा हाथों में झाड़ू और कचरे के थैले लिए हुए दिखाई दिए, जो शहर की बर्बाद सड़कों और जलती हुई इमारतों के चारों ओर फैले मलबे को साफ कर रहे थे।


यह कदम प्रदर्शनकारियों द्वारा यह संदेश देने के लिए उठाया गया कि उनका असली उद्देश्य देश को तोड़ना नहीं, बल्कि उसे सुधारना है। 9 सितंबर, मंगलवार को, काठमांडू और अन्य शहरों में गुस्साए 'जेन जेड' प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों, प्रमुख राजनीतिक दलों के कार्यालयों और कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के निवासों को आग के हवाले कर दिया था।


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देश में मची उथल-पुथल

देश में मची उथल-पुथल: इन प्रदर्शनों में 19 युवाओं की जान गई, जिसके बाद पूरे देश में अराजकता फैल गई। भारी हिंसा और आगजनी के दौरान कई मंत्रियों और नेताओं पर भी हमले हुए। कर्फ्यू तोड़कर हजारों युवा सड़कों पर उतर आए, जबकि सेना के हेलिकॉप्टरों ने ओली मंत्रिमंडल के सदस्यों को सुरक्षित निकाला। इस स्थिति में नेपाल की राजधानी मानो बिना सरकार के रह गई थी।


प्रदर्शन की शुरुआत

प्रदर्शन की शुरुआत: ये प्रदर्शन कुछ महीने पहले शुरू हुए थे, जब 'नेक्स्ट जेनरेशन नेपाल' नामक फेसबुक पेज और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ आवाज उठाई जाने लगी। इन पोस्टों में किसी नेता का नाम नहीं था, लेकिन यह स्पष्ट था कि विरोध करने वाले ज्यादातर युवा 1996 से 2012 के बीच जन्मे हैं, जिन्हें 'जेन जेड' कहा जाता है।


नया चेहरा दुनिया के सामने

नया चेहरा दुनिया के सामने: इस पूरी उठापटक ने नेपाल की राजनीति को हिला दिया है। जहां एक ओर हिंसा और खूनखराबे ने देश को गहरे संकट में डाल दिया, वहीं दूसरी ओर अब वही युवा सफाई और पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी उठाते दिख रहे हैं। काठमांडू की सड़कों पर उनका यह नया चेहरा दुनिया को यह संदेश देता है कि गुस्से के बीच भी बदलाव की जिम्मेदारी संभालना इस पीढ़ी की प्राथमिकता है।