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कारगिल विजय दिवस: 26 साल पहले की ऐतिहासिक लड़ाई की यादें

आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है, जो 26 साल पहले भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक महत्वपूर्ण लड़ाई की याद दिलाता है। इस लेख में हम उस संघर्ष की शुरुआत, भारतीय सेना की प्रतिक्रिया, और युद्ध के दौरान हुई घटनाओं का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं। जानें कैसे पाकिस्तान ने घुसपैठ की योजना बनाई और भारतीय सेना ने उसे कैसे चुनौती दी।
 

कारगिल विजय दिवस का महत्व

आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस मनाने में व्यस्त है। यह दिन 26 साल पहले भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक महत्वपूर्ण लड़ाई की याद दिलाता है। यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों में घुसपैठ की।


घुसपैठ की शुरुआत

8 मई 1999 को, पाकिस्तान की 6 नॉर्दर्न लाइट इंफैंट्री के कैप्टन इफ्तेखार और लांस हवलदार अब्दुल हकीम अपने 12 सैनिकों के साथ कारगिल की आजम चौकी पर तैनात थे। उन्होंने देखा कि कुछ भारतीय चरवाहे अपनी भेड़-बकरियों को चरा रहे थे।


भारतीय सेना की प्रतिक्रिया

पाकिस्तानी सैनिकों ने विचार किया कि क्या इन चरवाहों को बंदी बना लिया जाए, लेकिन अंततः उन्हें छोड़ने का निर्णय लिया। लगभग डेढ़ घंटे बाद, ये चरवाहे भारतीय सेना के जवानों के साथ लौट आए। भारतीय सैनिकों ने दूरबीन से इलाके का मुआयना किया और फिर वहां से चले गए।


पहली चेतावनी

करीब 2 बजे एक लामा हेलिकॉप्टर वहां आया, जो इतना नीचे था कि कैप्टन इफ्तेखार को पायलट का बैज साफ नजर आ रहा था। यह वह क्षण था जब भारतीय सेना को पता चला कि कुछ पाकिस्तानी सैनिकों ने पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया है।


घुसपैठ का उद्देश्य

इंडियन एक्सप्रेस के एसोसिएट एडिटर सुशांत सिंह ने बताया कि पाकिस्तान का उद्देश्य भारत की सियाचिन ग्लेशियर की लाइफलाइन एनएच 1 डी को काटना था। वे चाहते थे कि भारतीय सेना लद्दाख की ओर जाने वाले सैन्य रसद को रोक सके।


खुफिया एजेंसियों की नाकामी

यह चौंकाने वाला था कि भारतीय खुफिया एजेंसियों को इस घुसपैठ की कोई जानकारी नहीं थी।


पाकिस्तान का रणनीतिक लाभ

पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल हरचरणजीत सिंह पनाग ने कहा कि पाकिस्तान ने खाली पड़ी जमीन पर कब्जा कर लिया था, जिससे वे भारतीय सेना के लिए एक कठिन स्थिति पैदा कर रहे थे।


जनरल मुशर्रफ की रणनीति

जनरल परवेज मुशर्रफ ने इस योजना को सफल बताया, जिसने भारतीय सेना को मुश्किल में डाल दिया।


तोलोलिंग की जीत

जंग के पहले महीने में भारतीय सेना को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन जब 8वीं डिवीजन ने मोर्चा संभाला, तो स्थिति नियंत्रण में आने लगी। जनरल वेद प्रकाश मलिक ने तोलोलिंग की जीत को निर्णायक मोड़ बताया।


भारतीय वायु सेना की भूमिका

भारतीय वायु सेना और बोफोर्स तोपों ने पाकिस्तानी ठिकानों को निशाना बनाकर युद्ध का रुख बदल दिया। कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मोहिंदर पुरी ने कहा कि वायु सेना की भूमिका मनोवैज्ञानिक थी।


युद्ध विराम की बातचीत

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को युद्ध विराम के लिए अमेरिका की मदद लेनी पड़ी। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने उन्हें चेतावनी दी कि अगर उन्होंने सैनिक नहीं हटाए, तो पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।