कार्बी आंगलोंग में भूमि विवाद: स्थानीय लोगों की चिंताएं और हिंसा का बढ़ता खतरा
भूमि अधिकारों की सुरक्षा की मांग
राजीव रंजन तिवारी | असम के कार्बी आंगलोंग में स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है कि बाहरी लोग उनकी भूमि और संस्कृति को छीन सकते हैं। आरोप है कि गैर-आदिवासी लोगों ने दशकों से भूमि पर कब्जा कर लिया है, जिससे स्थानीय जनसंख्या का नियंत्रण कमजोर हो गया है। हाल ही में हुई हिंसा का कारण भूमि पर कब्जा हटाने की मांग थी, जो आदिवासियों के लिए महत्वपूर्ण चरागाह भूमि है। रिपोर्टों के अनुसार, 7184 एकड़ से अधिक भूमि पर गैर-आदिवासी लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है, जो आदिवासी भूमि सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन है।
हिंसक प्रदर्शन और सरकारी कार्रवाई
कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग के निवासी अपनी भूमि के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। पश्चिम कार्बी आंगलोंग में स्थिति सबसे अधिक तनावपूर्ण है, जहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक हो गया। इस दौरान दो लोगों की मौत हो गई, एक पुलिस की गोली से और दूसरा आग में जलकर। प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय प्रशासन के सदस्यों के घरों में आग लगा दी और बाजारों में तोड़फोड़ की। असम सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए निषेधाज्ञा लागू की और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं।
स्थानीय जनसंख्या की चिंताएं
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में उनकी जनसंख्या में कमी आई है, और अब वे केवल 35 प्रतिशत रह गए हैं। वे अनुच्छेद 244 के तहत सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। कार्बी आंगलोंग में राजनीतिक और आर्थिक शक्ति का ह्रास हो रहा है, और स्थानीय समुदायों का कहना है कि बाहरी लोग उनकी भूमि पर कब्जा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि इस मुद्दे का समाधान बातचीत से किया जाना चाहिए।
भविष्य की संभावनाएं
असम सरकार, कार्बी आंगलोंग ऑटोनोमस काउंसिल और विरोध कर रहे समूहों के बीच जल्द ही एक बैठक होने की उम्मीद है। हालांकि, जब तक कानूनी और राजनीतिक समाधान नहीं मिल जाता, तब तक भूमि विवाद स्थानीय जनजातियों के लिए एक गंभीर चुनौती बना रहेगा। कार्बी आंगलोंग का यह विवाद लंबे समय से चल रहा है और इसके समाधान के बिना क्षेत्र की शांति को खतरा बना रहेगा।