किसान दिवस: चौधरी चरण सिंह की विरासत और किसानों का योगदान
किसान दिवस का महत्व
नई दिल्ली: भारत में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है, जिसे राष्ट्रीय किसान दिवस भी कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से चौधरी चरण सिंह की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है, जो भारत के पांचवें प्रधानमंत्री रहे और किसानों के कल्याण के लिए समर्पित रहे।
यह दिन देश के किसानों की मेहनत और योगदान को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। किसानों की भूमिका भारत के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे देश के लिए खाद्य उत्पादन करते हैं। किसान दिवस हमें याद दिलाता है कि कृषि भारत की नींव है। किसान न केवल फसल उगाते हैं, बल्कि खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों परिवारों का सहारा बनते हैं।
किसान दिवस का इतिहास
किसान दिवस क्यों मनाया जाता है:
किसान दिवस की शुरुआत चौधरी चरण सिंह की याद में की गई थी, जिनका जन्म 23 दिसंबर, 1902 को एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने 1979 से 1980 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कई प्रयास किए। चौधरी चरण सिंह को किसानों का चैंपियन माना जाता है, क्योंकि उन्होंने कृषि सुधार के लिए कई नीतियों का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने भूमि सुधार, कृषि उत्पादकता में वृद्धि और किसानों के कर्ज के बोझ को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया।
किसान दिवस का महत्व
आज के दिन का महत्व:
भारत सरकार ने 2001 में चौधरी चरण सिंह को सम्मानित करने के लिए 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मान्यता दी। यह दिन किसानों की उपलब्धियों का जश्न मनाने और उनकी जीवन स्थितियों में सुधार के उपायों पर चर्चा करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन, पूरे भारत में कृषि संस्थान, विश्वविद्यालय, और ग्रामीण संस्थान सेमिनार, प्रदर्शनी और चर्चाएं आयोजित करते हैं, जिससे युवाओं को कृषि में रुचि लेने के लिए प्रेरित किया जाता है।
चौधरी चरण सिंह की योजनाएं
किसानों के लिए योजनाएं:
चौधरी चरण सिंह ने किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई, जिनमें वीबी जी राम जी (पहले मनरेगा), एमएसपी, एपीएमसी की मंडी व्यवस्था और नाबार्ड शामिल हैं। ये योजनाएं आज भी किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही हैं।