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किसान नेता हीरानंद आर्य को श्रद्धांजलि: 88वें जन्मदिन पर विशेष आयोजन

किसान नेता और पूर्व मंत्री स्व. हीरानंद आर्य का 88वां जन्मदिन लोहारू में मनाया गया। इस अवसर पर किसानों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को याद किया। कार्यक्रम में कई प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया और आर्य के जीवन के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए कई आंदोलनों में भाग लिया और शिक्षा तथा समाज सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस आयोजन ने उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा को दर्शाया।
 

किसान महापड़ाव में मनाया गया जन्मदिन


लोहारू में किसान महापड़ाव के 27वें दिन, पूर्व मंत्री स्व. हीरानंद आर्य का 88वां जन्मदिन मनाया गया। इस अवसर पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता मास्टर छत्रपाल, कृष्ण बिधनोई, ज्ञानी राम झांझड़ा, सुरेश ढाणी टोडा और अल्का आर्य ने की। मंच संचालन मास्टर जग रोशन, एडवोकेट कविता आर्य पातवान और धर्मपाल बारवास ने किया।


किसानों के प्रति समर्पण

अभाकि सभा के जिला उप प्रधान कामरेड ओम प्रकाश और युवा कल्याण संगठन के संरक्षक कमल सिंह ने बताया कि चौधरी हीरानंद आर्य चार बार लोहारू से विधायक रहे और उनका जीवन किसानों के प्रति समर्पित रहा। उन्होंने 1981 में बिजली आंदोलन और 1995 व 1997 में अन्य आंदोलनों में भाग लिया, जिसके कारण उन्हें कई महीनों तक जेल में रहना पड़ा। किसानों के ट्यूबवेल के लिए बिजली फ्लेट रेट और चौथे स्लैब की व्यवस्था में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।


शिक्षा और समाज सुधार में योगदान

आर्य ने 1977 में राज्य के शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया और कई नए स्कूलों की स्थापना की। उन्होंने हजारों अनियमित अध्यापकों को स्थायी किया। उनके सरल स्वभाव और ईमानदारी के लिए लोग उन्हें पसंद करते थे। उन्होंने शराबबंदी के लिए जन आंदोलन चलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


समाज सुधारक के रूप में पहचान

आर्य एक अच्छे राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा, दहेज प्रथा के खिलाफ और साधारण विवाह की परंपरा को बढ़ावा दिया। जातिवाद और साम्प्रदायिकता के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने कई पंचायतें आयोजित कीं।


किसानों के आंदोलन की प्रेरणा

इस अवसर पर स्व. चौ. हीरानंद आर्य की धर्म पत्नी वीरमति, सुनीता आर्य, अशोक आर्य एडवोकेट और अन्य ने श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में सैकड़ों किसान उपस्थित रहे, जिन्होंने आर्य की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।