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किसानों का धरना 125वें दिन भी जारी, मुआवजे की मांग

किसानों का धरना 125वें दिन भी जारी है, जिसमें वे बकाया मुआवजे और अन्य मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। किसान नेता धर्मपाल सिंह हड़ौदा ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ कर रही है। किसानों ने स्पष्ट किया है कि जब तक उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक उनका धरना जारी रहेगा। इसके अलावा, कपास पर आयात शुल्क समाप्त होने से घरेलू कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका जताई गई है। जानें इस आंदोलन की पूरी कहानी।
 

धरने का 125वां दिन: किसानों का आक्रोश


Charkhi Dadri News - बाढड़ा में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बकाया मुआवजे, लंबित ट्यूबवैल कनेक्शन और कृषि क्षेत्र की अन्य मांगों को लेकर धरना 125वें दिन भी जारी रहा। किसानों ने सरकार की अनदेखी के खिलाफ नारेबाजी की। उपमंडल के बिजली कार्यालय परिसर में धरने को संबोधित करते हुए किसान मजदूर संगठन के अनुसूचित प्रकोष्ट जिलाध्यक्ष धर्मपाल सिंह हड़ौदा ने कहा कि किसानों और श्रमिक वर्ग के हितों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।


मुआवजे की मांग पर अडिग किसान

किसानों ने स्पष्ट किया है कि जब तक उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक उनका धरना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि 350 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम सरकार की मिलीभगत के बिना नहीं रोका जा सकता। किसान अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने सरकार से तुरंत मुआवजे की राशि जारी करने की मांग की। रघबीर सिंह काकड़ौली ने सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि सरकार केवल वादे करती है, लेकिन वास्तविकता में कोई ठोस कदम नहीं उठाती।


कपास पर आयात शुल्क समाप्ति का प्रभाव

युवा किसान नेता नरेश कादयान ने कहा कि सरकार किसानों को भ्रमित कर रही है। वित्त मंत्रालय ने कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क को समाप्त करने का निर्णय लिया है, जो देशभर के कपास उत्पादकों के लिए हानिकारक साबित होगा। इससे कपास की घरेलू कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और किसानों को और अधिक संकट का सामना करना पड़ेगा।


सरकार पर विश्वासघात का आरोप

किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार ने 2023 के कपास बीमा मुआवजे में घोटाला किया है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने चुनाव आचार संहिता के चलते 450 करोड़ रुपये के मुआवजे को घटाकर 350 करोड़ रुपये कर दिया। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार किसानों के साथ भद्दा मजाक कर रही है।


धरने में शामिल किसान

धरने में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए, जिनमें कप्तान बलबीर सिंह ताखर, प्रताप सिंह खोरड़ा, महेन्द्र सिंह भांडवा, और अन्य प्रमुख नेता शामिल थे।